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वित्त वर्ष 2025 में 1.53 लाख करोड़ निकाल ले गए विदेशी मेहमान, एक साल नहीं रहा आसान

नया वित्त वर्ष शुरू होने में कुछ दिनों का समय बचा है. जिससे देश के सभी लोगों को काफी उम्मीदें हैं. वैसे इस वित्त वर्ष में नई चीजों की शुरू होने वाली है. उससे पहले वित्त वर्ष की कुछ खट्टी मीठी बातों को याद कर लेना भी काफी जरूरी है. अगर बात शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों के निवेश की करें तो इस पूरे वित्त वर्ष को पूरे भागों में बांटकर देखा जा सकता है. इसका कारण भी है. शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का निवेश वित्त वर्ष की पहली छमाही में अच्छा देखने को मिला था. लेकिन दूसरी छमाही किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा है.

बीते कुछ दिनों को छोड़ दिया जाए तो विदेशी निवेशकों ने आखिरी के 6 महीने के 95 फीसदी से ज्यादा दिनों में शेयर बाजार में बिकवाली ही की है. जो कि काफी बड़ी देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर विदेशी निवेशकों ने पहली छमाही में कितना निवेश किया और दूसरी छमाही में कितनी बिकवाली की है. साथ ही नए वित्त वर्ष में एफआईआई का रुख किस तरह का देखने को मिल सकता है.

विदेशी निवेशकों के लिहाज से कैसा रहा वित्त वर्ष

वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत विदेशी निवेशकों के मजबूत निवेश के साथ देखने को मिली थी. जबकि दूसरी छमाही में धारणा में भारी बदलाव देखने को मिला. कई मायनों में, यह साल दो हिस्सों की बंटता हुआ दिखाई दिया. साल की पहली छमाही में विदेशी शेयर खरीदारों से लगभग 28,000 करोड़ रुपए का निवेश किया, जिसके बाद दूसरी छमाही में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की भारी बिकवाली की. पहली छमाही में पॉजिटिव निवेश के बावजूद, दूसरी छमाही में मजबूत बिकवाली देखी गई. जिसकी वजह से विदेश निवेशकों ने इस दौरान लगभग 1.53 लाख करोड़ रुपए (17.8 बिलियन डॉलर) शेयर बाजार से निकाल लिए.

किन सेक्टर्स पर बड़ा असर

विदेशी निवेशकों के बाहर निकलने से फाइनेंशियल सर्विसेज, ऑयल एंड गैस, एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल और पॉवर शेयरों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. एफआईआई ने फाइनेंशियल शेयरों में लगभग 57,006 करोड़ रुपए की बिकवाली की, इसके बाद एफएमसीजी में 36,000 करोड़ रुपए और ऑटो और ऑटो कंपोनेंट शेयरों में 35,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिससे बाजार में गिरावट और बढ़ गई.

क्यों देखने को मिली विदेशी निवेशकों की बिकवाली?

भले ही भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसे विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सामाना करना पड़ा है, लेकिन घरेलू बाजारों में बिकवाली की सीमा गंभीर रही है. वर्ष की दूसरी छमाही में बिकवाली का एक मुख्य कारण भारतीय शेयरों का हाई वैल्यूएशन है. जिसकी वजह से दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक बनाया.

इसके अलावा, हाल की तिमाहियों में अपेक्षा से कम आय के कारण कॉर्पोरेट आय वृद्धि पर चिंताएं बढ़ गई हैं, जिससे एफआईआई भारतीय इक्विटी में निवेश करने से और हतोत्साहित हो रहे हैं. एफआईआई पलायन में योगदान देने वाला एक अन्य कारक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता है, विशेष रूप से यूएस बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और यूएस डॉलर में मजबूती.

इन तमाम घटनाक्रमों ने निवेशकों का ध्यान विकसित बाजारों में सेफ हैवन असेट्स की ओर ट्रांसफर कर दिया. जिसमें यूएस बॉन्ड, जो भारत जैसे उभरते बाजारों से जुड़ी अस्थिरता और करेंसी रिस्क के बिना अच्छा रिटर्न देते हैं. इसके अलावा, रुपए की गिरावट ने भी एफआईआई के लिए रिटर्न को कम कर दिया है. कुछ बाजार के दिग्गजों ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को कम आकर्षक बनाने के लिए हाई कैपिटल गेंस को एक वास्तविक कारण बताया.

क्या वित्त वर्ष 2026 बेहतर होगा?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वित्त वर्ष विदेशी निवेशकों के निवेश के लिहाज से कैसा रह सकता है. इसका जवाब वित्त वर्ष 2025 के खत्म होने के साथ विदेशी निवेशकों के निवेश रुझानों में देखने को मिलेगा. पिछले कुछ दिनों से विदेशी निवेशकों की बिकवाली कम या यूं कहें कि खत्म हो गई है. विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार निवेश देखने को मिल रहा है. बीते कुछ ही दिनों में विदेशी निवेशकों ने 19 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस प्रमुख कारण जबरदस्त करेक्शन की वजह से शेयर बाजार की वैल्यूएशन पहले से बेहतर देखने को मिली है. बेंचमार्क निफ्टी वर्तमान में अपने शिखर से लगभग 10 फीसदी नीचे है. मजबूत रुपया और महंगाई में कमी जैसे फैक्टर्स ने अनुकूल आर्थिक माहौल बनाने में योगदान दिया है. विश्लेषकों का कहना है कि इससे विदेशी निवेशकों के बीच विश्वास बहाल करने में मदद मिली है.

क्या कहते हैं जानकार

हेलियोस म्यूचुअल फंड के सीईओ दिनशॉ ईरानी ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि जिस तरह से दुनिया के मुकाबने में हमारे मार्केट प्रीमियम गिर गए थे, हम उम्मीद कर रहे थे कि एफआईआई वापस आएंगे, लेकिन इतनी जल्दी वापस आने की कोई उम्मीद नहीं थी. लेकिन इस बात की पुष्टी करना अभी बाकी है कि क्या हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. इसके लिए अभी कुछ और दिन इंतजार करने की जरुरत है. तत्काल भविष्य से आगे देखें तो ऐसी उम्मीदें हैं कि 2025 के मिड तक एफआईआई की धारणा में काफी सुधार हो सकता है.

राइट रिसर्च के विश्लेषकों का मीडिया रिपोर्ट में कहना है कि भारत की आर्थिक बुनियाद (घरेलू मांग, डिजिटल परिवर्तन, बुनियादी ढांचे को बढ़ावा) बरकरार है, और अगर ये लॉन्गटर्म ड्राइवर इनकम ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं, तो एफआईआई को भारत लौटना चाहिए. अमेरिकी ब्याज दरों और डॉलर में तेजी (2025 के अंत में अपेक्षित) उभरते बाजारों पर दबाव को कम कर सकती है, जिससे संभावित रूप से एफआईआई को भारतीय बाजारों में मजबूती से निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.fii, foreign investor inflows india, nifty, nifty outlook, rupee, fy26 outlook, Foreign Institutional Investors, FII outflows FY25, foreign investor trends, India stock market

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