बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही हिंदू और उनके धर्मस्थल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ताजा मामला सैकड़ों साल पुराने खरशूति शिव मंदिर का है. यह मंदिर अब गायब होने की कगार पर है. स्थानीय हिंदू परिवार के लोग इसे बचाने की जद्दोजेहद में जरूर जुटे हैं, लेकिन उन्हें अब तक सफलता नहीं मिल पाई है.
बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार के मुताबिक फरीदपुर के बोलमारी उपजिला के अंतर्गत खरशूती गांव में 100 साल पहले एक शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह मंदिर बलुआ मिट्टी से निर्मित है, जो अब खंडहर में तब्दील हो रहा है.
त्रिशूल समेत सभी सामान चोरी
बांग्लादेश के खरशूति में स्थित इस मंदिर की गिनती देश के टॉप-5 बड़े मंदिरों में होती थी. 20वीं शताब्दी में स्थानीय जमींदार इशान घोष ने इसका निर्माण कराया था. उस वक्त राजस्थान से मंदिर निर्माण के लिए संगमरमर के पत्थर लाए गए थे.
मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की गई थी. उसके द्वार पर सांप के चिह्न बनवाए गए थे. इसके अलावा मंदिर परिसर में त्रिशूल और नंदी का भी निर्माण कराया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर से त्रिशूल और नंदी के साथ-साथ उसके दरवाजे भी चोरी कर लिए गए हैं. मंदिर परिसर में कुत्तों और अन्य पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है.
कैसे खंडहर में बदल गया मंदिर?
1. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस इलाके में हिंदुओं की संख्या में कमी आई है. पहले की तरह यहां हिंदुओं का वर्चस्व नहीं है. इसकी वजह से मंदिर लोग पूजा के लिए नहीं आ रहे हैं.
2. 2011 में आखिरी बार यहां एक पुजारी को पूजा करते देखा गया. उसके जाने के बाद से मंदिर वीरान पड़ा हुआ है. न तो स्थानीय लोगों ने और न ही किसी अधिकारी ने इसकी पहल की.
3. तख्तापलट के बाद से हिंदी डरे हुए हैं. लोग यहां पर खुलकर पूजा नहीं करना चाहते हैं. कई जगहों पर मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना देखी गई है.
पुरातत्व विभाग को मतलब नहीं
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि इस मंदिर के रखरखाव के लिए कई बार पुरातत्व विभाग से संपर्क किया गया, लेकिन विभाग ने इस पर कोई अमल नहीं किया. अगर इस मंदिर का पुनर्निर्माण जल्द नहीं कराया गया तो बांग्लादेश का यह मंदिर धरती से गायब हो जाएगा.