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मध्यप्रदेश

उज्जैन में लहर न मुद्दा, कांटे की टक्कर ने बढ़ाईं धड़कनें

उज्जैन। धर्मनगरी उज्जैन के संभागीय क्षेत्र में आने वाले सात जिलों उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच, देवास, शाजापुर और आगर-मालवा की 29 विधानसभा सीटों पर जीत के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों खासी मशक्कत कर रही हैं। यह सीटें कभी भाजपा के दबदबे वाली मानी जाती थीं। 2013 में पार्टी ने 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2018 के चुनाव में यह आंकड़ा 17 पर सिमट गया।

बाद में सरकार बदलने और दो विधानसभा सीटों (सुवासरा, हाटपिपलिया) पर उपचुनाव के बाद भाजपा ने संभाग में अपने विधायकों की संख्या 19 कर ली। इस बार भाजपा का फोकस फिर 2013 का प्रदर्शन दोहराने पर है। उधर, कांग्रेस भी संभाग की सीटों पर बहुत सक्रिय है। खास यह है कि इस बार चुनावी लहर नहीं है। कोई बड़ा मुद्दा भी प्रभावी नहीं है। फिर भी अधिकतर सीटों पर कांटे की टक्कर दिखने लगी है। इससे प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। आइए देखते हैं कहां क्या है तस्वीर…

जिले में नेताओं की सक्रियता में कोई कमी नहीं है। जनसंपर्क, कार्यकर्ताओं के सम्मेलन जारी हैं। भाजपा श्री महाकाल महालोक के निर्माण, अन्य विकास कार्य, किसानों के लिए किए गए काम, औद्योगिक विकास जैसे मुद्दों के साथ जनता के बीच जा रही है। वहीं, कांग्रेस भ्रष्टाचार, श्री महाकाल महालोक निर्माण में हुई धांधली, बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर भाजपा को घेर रही है। चुनाव प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव जैसे नेताओं के लिए अहम है। भाजपा ने छह बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री पारस जैन के स्थान पर नया चेहरा उतारा है।

रतलाम भाजपा विकास कार्यों को मुद्दा बनाकर जनता के बीच है तो कांग्रेस भ्रष्टाचार और अधूरी घोषणाओं पर पलटवार कर रही है। भाजपा विधायक चैतन्य काश्यप, राजेंद्र पांडेय और कांग्रेस से आलोट विधायक मनोज चावला जैसे नामी नेताओं का सियासी भविष्य यह चुनाव तय करेगा। मंदसौर और नीमच के प्रत्याशी समर्थकों के साथ सक्रिय हैं।

यहां किसानों को साधने के लिए भाजपा, कांग्रेस दोनों खूब जोर लगा रही हैं। क्षेत्र के भाजपा नेता और वर्तमान में मंत्री जगदीश देवड़ा, हरदीप सिंह डंग सहित कांग्रेस नेता सुभाष सोजतिया और नरेंद्र नाहटा जैसे नेताओं के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।

शाजापुर और आगर-मालवा

शाजापुर और आगर मालवा कुल पांच विधानसभा सीटों पर अधोसंरचना विकास का मुद्दा बड़ा है। आगर को जिला बने 10 साल हो गए हैं, मगर अब भी रेल लाने जैसी घोषणाएं अधूरी हैं। शाजापुर जिला भी विकास के मामले में अन्य जिलों के मुकाबले पिछड़ा है। कांग्रेस इस मुद्दे के साथ जनता के बीच में है तो क्षेत्रीय भाजपा नेता अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं।

क्षेत्र से कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा और वर्तमान सरकार में मंत्री इंदरसिंह परमार जैसे बड़े नेताओं के लिए यह चुनाव महत्वपूर्व है। देवास में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे अहम हैं। कांग्रेस इन मुद्दों को भुनाती आ रही है। वहीं भाजपा विकास के मुद्दे के साथ मैदान में उतर गई है। भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए दीपक जोशी और पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा जैसे नेताओं का भविष्य भी यह चुनाव तय करेगा।

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