ब्रेकिंग
जैसलमेर हादसा: 'मानक ताक पर रखकर बनी थी बस', जांच कमेटी ने माना- इमरजेंसी गेट के सामने लगाई गई थी सी... 'कांतारा चैप्टर 1' ने किया गर्दा! 15 दिन में वर्ल्डवाइड ₹679 करोड़ पार, विक्की कौशल की 'छावा' से महज... वेनेजुएला पर ऑपरेशन से तनाव: दक्षिणी कमान के प्रमुख एडमिरल होल्सी ने कार्यकाल से पहले दिया इस्तीफा, ... शेयर बाजार में धन वर्षा! सिर्फ 3 दिनों में निवेशकों की संपत्ति ₹9 लाख करोड़ बढ़ी, सेंसेक्स और निफ्टी... त्योहारी सीजन में सर्वर हुआ क्रैश: IRCTC डाउन होने से टिकट बुकिंग रुकी, यात्री बोले- घर कैसे जाएंगे? UP पुलिस को मिलेगी क्रिकेटरों जैसी फिटनेस! अब जवानों को पास करना होगा यो-यो टेस्ट, जानिए 20 मीटर की ... दिन में सोना अच्छा या बुरा? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान क्या कहता है, किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए 'द... प्रदूषण का 'खतरा' घर के अंदर भी! बढ़ते AQI से बचने के लिए एक्सपर्ट के 5 आसान उपाय, जानें कैसे रखें ह... शरीयत में बहुविवाह का नियम: क्या एक मुस्लिम पुरुष 4 पत्नियों के होते हुए 5वीं शादी कर सकता है? जानें... गुजरात में बड़ा सियासी फेरबदल! भूपेंद्र पटेल की नई कैबिनेट ने ली शपथ, पूरी हुई 25 मंत्रियों की लिस्ट...
देश

राज ठाकरे की पार्टी के नेता बोले- ‘हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं, इसे हम पर मत थोपो’

मुंबई: गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर लगातार विवाद बढ़ता ही जा रहा है। तमिलनाडु में हिंदी पर विरोध जताने के बाद अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता ने इस पर बयान दिया है। एमएनएस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एमएनएस नेता अनिल शिदोरे ने ट्वीट किया कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है, इसे हमारे माथे पर मत थोपो। शिदोरे ने यह ट्वीट मराठी भाषा में किया है। वहीं इससे पहले रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में अपने ट्विटर पर संदेश लिखा और भरोसा जताया कि किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।

उन्होंने लिखा कि इस ड्राफ्ट को अमल में लाने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सरकार का बचाव किया और कहा कि बिना समीक्षा के कोई चीज लागू नहीं होगी। मोदी सरकार के यह दोनों नेता तमिलनाडु से हैं। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी लोगों से अपील की थी कि वह नयी शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण और बहस करें लेकिन जल्दबाजी में किसी नतीजे पर न पहुंचें। तमिलनाडु हिंदी भाषा पढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर काफी विरोध हो रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button