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JNU हिंसा को लेकर शिवसेना का मोदी-शाह पर हमला, कहा- ‘विभाजनकारी राजनीति’ से संकट में देश

दिल्ली में जेएनयू छात्रों पर हमले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि जो वह चाहते थे, वह हो रहा है। शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि इतनी निकृष्ट राजनीति कभी किसी ने नहीं की। भाजपा संशोधित नागरिकता कानून पर ‘हिंदू-मुस्लिम दंगे’ होते देखना चाहती थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

सामना में लिखा गया कि चूंकि सीएए के मुद्दे पर भाजपा अलग-थलग पड़ गई, इसलिए अब कई चीजें ‘बदले की भावना’ से हो रही है। जेएनयू के छात्रों पर हमले की तुलना 26/11 मुंबई हमले से करते हुए शिवसेना ने कहा कि ‘विभाजनकारी राजनीति’ देश के लिए खतरनाक है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का जेएनयू हमले के “अज्ञात” हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला हास्यास्पद है। पार्टी ने कहा कि चेहरे पर नकाब ओढ़कर जेएनयू में प्रवेश करने वाले लोग अज्ञात नहीं हैं।

गौरतलब है कि रविवार को जेएनयू परिसर में नकाबपोश लोगों ने हमला किया था। इस हमले में 34 लोग घायल हो गए थे। शिवसेना ने कहा कि विद्यापीठ और महाविद्यालयों को रक्तरंजित कर, विद्यार्थियों से मारपीट कर और उससे जली होली पर सत्ता की रोटी सेंकी जा रही है। इतनी निकृष्ट राजनीति कभी किसी ने नहीं की है। ‘जेएनयू’ की हिंसा का प्रतिसाद देशभर में देखने को मिलने लगा है। मोदी-शाह को जो चाहिए, वही होता दिखाई दे रहा है। ‘विभाजनकारी राजनीति’ देश के लिए खतरनाक है।

संपादकीय में आगे कहा गया कि अमित शाह जब राहुल और प्रियंका गांधी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हैं, तब एक प्रकार से वे स्वीकार करते हैं कि सरकार के एक कानून के विरोध में जनमत तैयार करने और लोगों को रास्ते पर उतारने की ताकत राहुल और प्रियंका गांधी में है। दूसरी बात ये है कि गांधी भाई-बहन ने दंगे भड़काए कि नहीं, ये नहीं कहा जा सकता। लेकिन देश के गृहमंत्री और उनकी पार्टी के लिए घर-घर जाकर सीएए के पर्चे बांटने की नौबत जरूर आ गई है।

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