ब्रेकिंग
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को दीपावली गिफ्ट, 17-18 अक्टूबर को वेतन, दैनिक वेतनभोगियों को भी भुगतान जैसलमेर हादसा: 'मानक ताक पर रखकर बनी थी बस', जांच कमेटी ने माना- इमरजेंसी गेट के सामने लगाई गई थी सी... 'कांतारा चैप्टर 1' ने किया गर्दा! 15 दिन में वर्ल्डवाइड ₹679 करोड़ पार, विक्की कौशल की 'छावा' से महज... वेनेजुएला पर ऑपरेशन से तनाव: दक्षिणी कमान के प्रमुख एडमिरल होल्सी ने कार्यकाल से पहले दिया इस्तीफा, ... शेयर बाजार में धन वर्षा! सिर्फ 3 दिनों में निवेशकों की संपत्ति ₹9 लाख करोड़ बढ़ी, सेंसेक्स और निफ्टी... त्योहारी सीजन में सर्वर हुआ क्रैश: IRCTC डाउन होने से टिकट बुकिंग रुकी, यात्री बोले- घर कैसे जाएंगे? UP पुलिस को मिलेगी क्रिकेटरों जैसी फिटनेस! अब जवानों को पास करना होगा यो-यो टेस्ट, जानिए 20 मीटर की ... दिन में सोना अच्छा या बुरा? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान क्या कहता है, किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए 'द... प्रदूषण का 'खतरा' घर के अंदर भी! बढ़ते AQI से बचने के लिए एक्सपर्ट के 5 आसान उपाय, जानें कैसे रखें ह... शरीयत में बहुविवाह का नियम: क्या एक मुस्लिम पुरुष 4 पत्नियों के होते हुए 5वीं शादी कर सकता है? जानें...
विदेश

माता-पिता बच्चों को सुलाने के लिए मेलोटोनिन दे रहे, इससे हृदय, दिमाग और व्यवहार पर पड़ रहा बुरा असर

अमेरिका में माता-पिता बच्चों को नियमित रूप से डाइट सप्लिमेंट के तौर पर मेलाटोनिन दवा दे रहे हैं, जिससे बच्चे रात में अच्छी और गहरी नींद सो सकें। इसका चलन तेजी से बढ़ा है, बिना यह जांचे- परखे कि सप्लिमेंट कितना सुरक्षित और प्रभावशील है। हालांकि, कई देशों में मेलोटोनिन को लेने के लिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन यानी नुस्खे की जरूरत होती है, लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं है। वैसे, एफडीए ने हर आयु वर्ग के हिसाब से दवा की | डोज तय कर रखी है और सप्लिमेंट उसी मात्रा में देना होता है, लेकिन अमेरिकी माता-पिता पांच साल से भी कम आयु में सप्लिमेंट के तौर पर तय मानक से तीन-चार गुना (दो मिली ग्राम तक) ज्यादा यह दवा दे रहे हैं।

कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में स्लीप एंड डेवलमेंट साइंटिस्ट हैलॉरेन हार्टस्टीन के अनुसार, माता- पिता वास्तव में नहीं जानते कि ये सप्लिमेंट देते समय वे बच्चों को क्या दे रहे हैं। इसका ज्यादा और नियमित इस्तेमाल फिजियोलॉजी व स्कैंडियन रिदम यानी शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक तौर पर दिक्कतें बढ़ाता है। ऐसे में बच्चों में कई नकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं, जैसे- दिनभर वे सुस्त रहते हैं। कई बच्चे तो क्लास में भी सो जाते हैं।

रात में नींद इतनी गहरी होती है कि बिस्तर गीला कर देते हैं। करीब ढाई लाख बच्चे इससे बुरी तरह प्रभावित हैं और दो बच्चों की तो ओवरडोज से मौत भी हो चुकी है। यह सप्लिमेंट सोने-जागने का प्राकृतिक चक्र हमेशा के लिए प्रभावित कर रहा है, इसलिए बच्चे में सप्लिमेंट के साथ दवा लेकर सोने के बजाय खुद से सोने और उठने की आदत बनाएं।

Related Articles

Back to top button