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हलवा सेरेमनी के बाद आज ‘कैद’ हो जाएंगे 100 अधिकारी, जानिए कैसे तैयार होता है देश का बजट

वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। सूत्रों के अनुसार 20 जनवरी को हलवा बनाने की रस्म निभाई जाएगी, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई अन्य मंत्री और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल रहेंगे। इस रस्म के बाद ही बजट की छपाई का कार्य औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगा। जानिए बजट से पहले हलवे की रस्म क्यों होती है अहम।

क्या है हलवा सेरेमनी
हर साल बजट को अंतिम रूप देने से कुछ दिन पहले नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के ऑफिस में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है। यह रस्म काफी पहले से ही चली आ रही है। कहा जाता है कि हर शुभ काम की शुरुआत मीठे से करनी चाहिए और भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ माना जाता है। वित्त मंत्री खुद इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं और बजट से जुड़े कर्मचारियों, बजट की छपाई से जुड़े कर्मचारियों और वित्त अधिकारियों को हलवा बांटते हैं। इस हलवे के बनने और बंटने के बाद ही से मंत्रालय के 100 के करीब लोग बजट बनाने में दिन-रात लग जाते हैं। बजट पेश होने से लगभग एक सप्ताह पहले से तो इन लोगों को 24 घंटे नॉर्थ ब्लॉक में ही गुजारने पड़ते हैं। एक बार कैद होने के बाद वित्त मंत्री द्वारा लोक सभा में बजट पेश करने के बाद ही इन्हें नॉर्थ ब्लॉक से बाहर जाने की इजाजत मिलती है।

बजट एक गोपनीय दस्तावेज
बजट किसी भी सरकार का गोपनीय दस्तावेज है। इसे बनाने की प्रक्रिया में लगे 100 अधिकारी दो से तीन सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं। इस दौरान वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए होते हैं। यहां तक कि अपने परिवारों के संपर्क में भी नहीं होते। उनके पास केवल एक फोन होता है जिसके जरिए वे केवल कॉल रिसीव कर सकते हैं, मगर कहीं कॉल कर नहीं सकते हैं। बजट पत्र वित्त मंत्रालय के निजी प्रेस में छपते हैं।

अधिकारियों के किए जाते हैं फोन टेेप
दिल्ली का नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्तमंत्री का दफ्तर सरकार के लिए एक तीजोरी की तरह है। बजट आने से कुछ दिन पहले से इस तिजोरी की सुरक्षा काफी कड़ी कर दी जाती है। इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006 से भारत की खुफिया एजेंसी आइबी के एजेंट इसकी निगरानी करते हैं वे लोग दफ्तर में बजट के लिए काम कर रहे लोगों के और घरों के मोबाइल फोनों को टेप करते हैं।

बरती जाती हैं यह सावधानियां
दिल्ली का नार्थ ब्लॉक आईबी के सुरक्षा घेरे में रहता है। बजट से पहले वित्त सचिव को जेड सिक्योरिटी मुहैया कराई जाती है। आइबी की पैनी नजर हर समय आसपास रहती है। वित्त मंत्रालय को ई-मेल भेजने की सुविधा नहीं मिलती। बजट पेश होने से एक या दो दिन पहले ही छपाई के लिए भेजा जाता है। बजट की छपाई एक विशेष प्रेस में होती है। यह प्रेस बेसमेंट में बनी है और आधुनिकता से लैस है। बजट की छपाई करने वाले लोगों को घर पर नहीं जाने दिया जाता। इससे बजट से संबन्धित सुचनाएं लीक नहीं होती। इतना ही नहीं बजट बनाने के लिए सिर्फ वित्त मंत्रालय ही नहीं बल्कि कम से कम पांच मंत्रालयों के अधिकारी और विशेषज्ञ वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मदद करते हैं।

यह मंत्रालय भी होते हैं शामिल
बजट बनाते समय कई मंत्रालय इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं जिनमें से वित्त मंत्रालय, कानून मंत्रालय, पैट्रोलियम मंत्रालय, रेल मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय विशेष हैं। इसमें इन मंत्रालयों के अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। बजट बनाने से पहले मंत्रालयों की तरफ से भी बहुत गोपनीयता बरती जाती है।

 

बजट को गोपनीय रखने का मुख्य कारण
भारत में कई सालों से ये बहस चल रही है कि बजट के लिए जिस तरह की गोपनीयता बरती जाती है, वह फिजूल है और उससे बाजार में सिफ डर पैदा होता है। जब प्रशासन में पारदर्शिता की बात की जा रही है, तो इस तरह की गोपनीयता क्यों बरती जाती है। बता दें कि बजट की इसलिए गोपनीय रखा जाता है तांकि बजट पेश होने से पहले अगर जानकारियां लीक हो गई तो इससे जमाखोरों और कर चोरों को मदद मिलती है।

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