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दिव्यांग भगवानदीन ने काम के आगे नहीं आने दी दिव्यांगता, हौसलों से जीती हर जंग

डिंडौरी: सहजपुरी गांव में जन्म से ही दिव्यांग भगवानदीन हौसले की जीती जागती मिसाल हैं। दोनों हाथ और एक पैर पूरी तरह से बेकार होने के बाद भी भगवानदीन आम आदमी की तरह अपने सभी काम बड़ी आसानी से कर लेते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दोनों हाथ बेकार होने के बाद भी भगवानदीन जबरदस्त तरीके से बैंड बजाते हैं। बैंड बजाने के लिए भगवानदीन अपने खराब हो चुके हाथ में लकड़ी बंधवाने में बस किसी की मदद लेते हैं और हाथ में लकड़ी बंधते ही मस्त अंदाज में बैंड बजाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

काम के बीच नहीं आने दी दिव्यांगता  

बैंड बजाने के अलावा भगवानदीन खराब हो चुके दोनों हाथों के बीच पेन फंसाकर लिखाई का काम भी आसानी से कर लेते हैं. साथ ही सुई में धागा पिरोना और हैंडपंप चलाकर पानी भरने समेत अन्य घरेलू कामकाज कर लेते हैं। भगवानदीन का कहना है कि उन्होंने कभी भी अपनी दिव्यांगता को आड़े नही आने दिया। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान नौकरी चले जाने से वो मायूस हो गए।

कोरोना ने छीना रोजगार

दरअसल भगवानदीन अपने गांव के प्राथमिक शाला में 5 सालों से बतौर अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे थे। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान जब स्कूलों में ताला लग गया, तब रोजगार के चक्कर में भगवानदीन को गांव छोड़कर बाहर जाना पड़ा और जब वो अपने गांव वापस आये, तब तक स्कूल में भगवानदीन की जगह किसी दूसरे को अतिथि शिक्षक रख लिया। भगवानदीन बताते हैं कि उन्हें अतिथि शिक्षक का एक साल का भुगतान भी नहीं मिला है और वे फिर से अतिथि शिक्षक की नौकरी करना चाहते हैं। भगवानदीन की दो बेटियां हैं, लिहाजा उन्होंने मीडिया के जरिये सरकार से मदद की अपील की है। गांव के बच्चे और बुजुर्ग सभी भगवानदीन की तारीफ करते हुए नजर आते हैं।

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