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उत्तरप्रदेश

कोर्ट रूम में वकीलों की दबंगई! अंदर घुसकर की मारपीट, चार की सदस्यता खत्म

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय प्रयागराज में सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में घुसकर वादकारियों से मारपीट और तोड़फोड़ करने की घटना को बेहद गंभीरता से लिया है. घटना को लेकर सिविल जज की ओर से भेजे गए रेफरेंस का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने दो आरोपी वकीलों रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ के जिला न्यायालय परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है. दोनों को आपराधिक और अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें आपराधिक अवमानना के लिए दंडित किया जाए. कोर्ट ने जिला जज से पूरी घटना को लेकर रिपोर्ट भी मांगी है और सीसीटीवी फुटेज आदि देखकर यह पता लगाने को कहा है कि इस घटना में अन्य कौन-कौन लोग व अधिवक्ता शामिल रहे.

पूरी घटना के रेफरेंस पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इस घटना ने अदालत की कार्रवाई किस प्रकार से संचालित हो रही है, उस पर गंभीर सवाल खड़ा किया है. पीठासीन अधिकारी द्वारा भेजे गए रेफरेंस से पता चलता है कि इन वकीलों की वजह से अदालत की प्रक्रिया पूरी तरीके से ठप हो गई. इस प्रकार की घटनाएं न्यायिक प्रक्रिया के संचालन के लिए गंभीर चुनौती हैं. इन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ द्वारा आपराधिक अवमानना का स्पष्ट मामला है. आरोपी वकील अब किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस या बहस नही कर सकेंगे.

चार वकीलों की सदस्यता की समाप्त

जिला अदालत के कोर्ट रूम में वादकारियों से मारपीट करने और जज से अभद्र व्यवहार करने के आरोपी रणविजय सिंह, मोहम्मद आसिफ, महताब और आफताब के विरुद्ध कडी कार्रवाई करते हुए जिला अधिवक्ता संघ ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी है. संघ के मंत्री दिनेश चंद्र पाडेय ने बताया कि मामले को संज्ञान में लेते हुए आरोपी वकीलों के खिलाफ थाना कर्नलगंज में संगीन धाराओं में अपराध भी पंजीकृत किया गया है. बार ने इस मामले में कहा है कि इन वकीलों कृत्य अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत और संघ की मर्यादा के खिलाफ है.

कोर्ट के अंदर वादकारी को पीटने का आरोप

प्रयागराज के सिविल जज द्वारा हाईकोर्ट को भेजे गए रेफरेंस में कहा गया कि 29 अप्रैल को उनकी अदालत में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल के दीवानी मुकदमे की सुनवाई चल रही थी. इसी दौरान वकीलों का एक गुट कोर्ट में घुसा और रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद के मुकदमे की सुनवाई के लिए दबाव बनाने लगा. इसमें वादकारी स्वयं अधिवक्ता है. अधिवक्ता रणविजय सिंह एवम उनके साथ आए अन्य वकीलों ने सुनवाई का दबाव बनाते हुए वादकारियों को पीटा. पीठासीन अधिकारी से भी दुर्व्यवहार किया. सिविल जज ने इन सभी तथ्यों को मुकदमे की सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड किया है और जिला जज ने इसका रेफरेंस हाईकोर्ट को भेजा है.

पीठासीन अधिकारी ने अपने आदेश में लिखा है कि जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने स्तर से मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए. उनके मुताबिक इसके बाद अध्यक्ष खुद को बचाने के लिए कोर्ट से बाहर चले गए. उधर, रणविजय सिंह के साथ आए वकीलों की भीड़ कोर्ट में डायस तक चली गई और परवेज अंसारी और उनकी पत्नी पर हमला कर दिया. जब दोनों बचने के लिए जज के चैंबर में घुसे तो वकीलों ने वहां घुसकर उनकी पिटाई कर दी.

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