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मध्यप्रदेश

बिना कर्ज चुकाए कैसे चल रहा है सोम डिस्टलरीज का इतना बड़ा कारोबार? शोकोज़ नोटिस का जवाब दिए बिना कैसे रिन्यू हो गया कंपनी का लाइसेंस?

 मध्य प्रदेश के शराब माफिया सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज लिमिटेड के रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के देपालपुर सत्र न्यायालय से कंपनी के संचालकों को सजा होने के बावजूद ना तो कंपनी की कुर्की की गई और ना नहीं इसे ब्लैकलिस्ट किया गया। इतना ही नहीं आबकारी आयुक्त ने कंपनी को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। लेकिन नोटिस का जवाब न देने के बावजूद कंपनी का लाइसेंस रिन्यू कर दिया गया। जिससे इस मामले में भारी भ्रष्टाचार से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

फर्ज़ी दस्तावेजों के जरिये शराब के अवैध परिवहन मामले में हुई थी सज़ा, कर्मचारियों को फंसा कर सजा से बच निकले सोम डिस्टलरीज के संचालक।

दरअसल मामले इंदौर जिले के देपालपुर का था। जिसमें फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर शराब का अवैध परिवहन करते आबकारी विभाग के सोम डिस्टलरीज के कर्मचारियों को हिरासत में लिए था। मामले में सोम डिस्टलरीज के संचालकों को भी आरोपी बनाया गया था। जिसमें देपालपुर सत्र न्यायालय ने सभी को दोषी पाते हुए सजा भी सुनाई थी। पंजाब केसरी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक कुल 1200 पेटी शराब एक अवैध परिवहन सोम डिस्टलरीज के संचालकों के इशारे पर कराया जा रहा था। लेकिन सोम डिस्टलरीज के संचालकों ने कानूनी दांव पेंचों का इस्तेमाल कर अपने छोटे कर्मचारियों पर सारा दोष मढ़ दिया और न्यायालय से मिली सजा से साफ बच निकले।

आबकारी आयुक्त ने सोम डिस्टलरीज को जारी किया था शोकॉज नोटिस, बिना जवाब दिए कैसे हुआ सोम का लाइसेंस रिन्यू…?

देपालपुर मामले ने न्यायलय से सजा मिलने के बाद भोपाल आबकारी की फ्लाइंग स्क्वाड की अनुशंसा पर आबकारी कमिश्नर ने 26 फरवरी 2024 को सोम डिस्टलरीज को शोकॉज नोटिस जारी किया था। जिसमें आबकारी कमिश्नर ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था। देपालपुर न्यायालय के फैसले से साबित हो चुका है कि सोम ग्रुप के संचालकों की मिलीभगत से ही 1200 पेटी अंग्रेजी शराब का अवैध परिवहन किया जा रहा था। जिससे सरकार को करोड़ों की चपत लगाने की मंशा साफ तौर पर दिखाई देती है। आबकारी कमिश्नर ने नोटिस में आगे कहा था कि दोष सिद्ध पाए जाने के बाद मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 31 के तहत क्यों ना सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज के लाइसेंस को निरस्त करने की कार्यवाई की जाए। इस शोकॉज नोटिस का जबाव देने के लिए आबकारी आयुक्त ने सोम कंपनी को 7 दिनों का समय दिया था। लेकिन समय बीतने के बाद आज दिनांक तक सोम डिस्टलरीज ने इस शोकॉज नोटिस का जबाव देना भी जरूरी नहीं समझा।

सोम डिस्टलरीज पर होनी थी लाइसेंस निरस्त और ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई….फिर कैसे हो गया सोम का लाइसेंस रिन्यू…?

सबसे बड़ा जबाव यही है कि जब कोर्ट के निर्णय के बाद आबकारी कमिश्नर ने अपने शो कॉज नोटिस में साफतौर पर चेताया था कि नोटिस का जवाब ना देने या संतोष जनक ना पाए जाने की सूरत में सोम डिस्टलरीज के लाइसेंस को निरस्त करने और कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन शोकॉज नोटिस का जबाव ना देने के बावजूद आश्चर्यजनक तरीके से दो महीने बाद ही सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज लिमिटेड के लाइसेंस आखिर रिन्यू कैसे कर दिया गया। पंजाब केसरी की पड़ताल के मुताबिक सोम डिस्टलरीज के संचालकों ने अपने राजनीतिक रसूख के जरिये सरकार पर दबाव डाल कर कंपनी के लाइसेंस को रिन्यू करवाया है। जिसमें भारी भ्रष्टाचार कर आबकारी नियमों को ताक पर रख दिया गया। दूसरी तरफ पूरे मामले में मोहन सरकार की चुप्पी और सोम डिस्टलरीज के पार्टनर राधेश्याम सेन की आत्महत्या मामले में पुलिस की ढीली जांच के बाद सवाल यहीं है कि आखिर सरकार और सोम डिस्टलरीज के संचालकों के ये रिश्ता क्या कहलाता है…?

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