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उत्तरप्रदेश

नेपाल में ISI कैंप गया, माफिया अतीक से भी नाता…शातिर छांगुर बाबा के डार्क सीक्रेट

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का उतरौला… नेपाल सीमा से महज 65 किलोमीटर दूर एक शांत कस्बा… यह क्षेत्र, जो कभी अपनी सादगी और शांति के लिए जाना जाता था, अब एक शख्स की खतरनाक साजिश की वजह से चर्चा में है. इस साजिश का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा है, जिसपर आऱोप है कि उसने हजारों अवैध धर्मांतरण करवाए और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की. जैसे-जैसे पुलिस और एटीएस की तफ़्तीश आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे रोज़ नए और चौंकाने वाले ख़ुलासे हो रहे हैं.

पुलिस हिरासत में आए छांगुर ने एटीएस के साथ कई अहम जानकारियां साझा की हैं. पता चला है कि छांगुर पाकिस्तान की आईएसआई (ISI) के नेपाल कैंप का दौरा कर चुका है. उसका कार्यक्रम पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के अधिकारियों से मिलने का था, हालांकि अंतिम समय में यह मीटिंग रद्द हो गई थी.

अतीक अहमद से करीबी संबंध

पूछताछ में यह भी सामने आया है कि छांगुर के कई मुस्लिम नेताओं से भी संबंध थे, जो इस मामले को और पेचीदा बना रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छांगुर के माफिया अतीक अहमद से भी बेहद करीबी संबंध थे. छांगुर का अतीक के प्रयागराज स्थित घर पर नियमित रूप से आना-जाना था. इतना ही नहीं, बलरामपुर में छांगुर की वह कोठी, जहां कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कराए जाते थे, वहां भी अतीक के कई बार आने की जानकारी सामने आई है.

छांगुर बाबा बलरामपुर के रेहरामाफी गांव का रहने वाला है. बचपन में वह साइकिल पर नग और अंगूठियां बेचकर गुजारा करता था. एटीएस की जांच में सामने आया कि छांगुर ने पिछले 15 सालों में 3,000 से 4,000 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया. उसका नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक फैला हुआ था. उसकी सबसे बड़ी सहयोगी थी नीतू उर्फ नसरीन, जो उसकी राजदार और इस साजिश की मुख्य कड़ी थी. नीतू और उसके पति नवीन उर्फ जमालुद्दीन, जो मूल रूप से मुंबई के रहने वाले थे, ने इस नेटवर्क को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई.

जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि छांगुर के नेटवर्क को पिछले तीन सालों में 500 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली. इसमें से 200 करोड़ रुपये की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 300 करोड़ रुपये नेपाल के सीमावर्ती जिलों—काठमांडू, नवलपरासी, रूपनदेही और बांके—में खोले गए 100 से अधिक बैंक खातों के जरिए हवाला के माध्यम से भारत लाए गए. यह फंडिंग पाकिस्तान, सऊदी अरब, दुबई और तुर्की जैसे देशों से आई थी. छांगुर के सहयोगियों, नवीन और नीतू के खातों में 34.22 करोड़ और 13.90 करोड़ रुपये मिले. इसके अलावा, सऊदी अरब, शारजाह और दुबई में संदिग्ध बैंक खातों की जांच भी चल रही है.

छांगुर का नेटवर्क सऊदी अरब की इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, मुस्लिम वर्ल्ड लीग, दावत-ए-इस्लाम और इस्लामिक संघ ऑफ नेपाल जैसे संगठनों से भी जुड़ा था. ये संगठन संदिग्ध गतिविधियों में शामिल माने जाते हैं. छांगुर ने इन संगठनों के जरिए न केवल फंडिंग हासिल की, बल्कि अपने नेटवर्क को और मजबूत किया.

छांगुर काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास तक पहुंचा

सूत्रों के मुताबिक, छांगुर काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास तक पहुंचा था, लेकिन सुरक्षा कारणों से दाखिल नहीं हो सका. उसकी योजना थी कि हिंदू से मुस्लिम बनीं युवतियों का निकाह नेपाल में मौजूद आईएसआई एजेंटों और स्लीपर सेल्स के साथ कराया जाए. इससे सीमावर्ती इलाकों में उनकी पैठ बढ़ती और देश-विरोधी गतिविधियों के लिए सूचनाएं इकट्ठा करना आसान हो जाता.

छांगुर की नजर सिद्धार्थनगर के बढ़नी कस्बे पर भी थी, जहां वह एक ठिकाना तलाश रहा था. उसकी अगली योजना रोहिंग्या शरणार्थियों को हिंदू बताकर उनका धर्मांतरण कराने और उन्हें राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल करने की थी. इस साजिश का केंद्र था उतरौला, जो नेपाल सीमा से नजदीक होने के साथ-साथ अयोध्या, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और महराजगंज जैसे सीमावर्ती जिलों के ट्रांजिट रूट पर स्थित है. यह स्थान रणनीतिक रूप से विदेशी खुफिया एजेंसियों के लिए एक ‘स्लीपर बेस’ बन सकता था.

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