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इस शिव मंदिर में मुस्लिम भक्तों की लगती है कतार, दिलचस्प है इसकी कहानी

श्रावण का पवित्र महीना, भगवान शिव की भक्ति का चरम पर्व माना जाता है.लेकिन राजस्थान के वागड़ अंचल में, खासकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में, श्रावण की शुरुआत थोड़ी अनूठी होती है.यहां श्रावण हरियाली अमावस्या के लगभग पंद्रह दिन बाद शुरू होता है, जिसके कारण यह पर्व लगभग डेढ़ महीने तक चलता है. यह अवधि भक्ति, समर्पण और सांस्कृतिक समरसता का एक लंबा अध्याय बुनती है. इसी अध्याय का एक सबसे अनूठा और प्रेरणादायक पृष्ठ है मदारेश्वर महादेव मंदिर, जो बांसवाड़ा जिला मुख्यालय की तलहटी में स्थित है. मदारेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक शिव मंदिर नहीं, यह मंदिर भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब का एक जीवंत प्रमाण है, जहां शिव भी मुस्कुराते हैं और फकीर बाबा भी.

शिव और फकीर बाबा का अनूठा मिलन

इस मंदिर को जो बात सबसे अलग और खास बनाती है, वह है इसके परिसर में स्थित मदार फकीर बाबा की मजार.यह एक ऐसा दृश्य है जो शायद ही कहीं और देखने को मिले. जहां शिव के पुजारी, भगवान भोलेनाथ की आराधना के साथ-साथ, पूरी श्रद्धा से मजार पर इबादत भी करते हैं.

यहां के शिव भक्त जब भोलेनाथ को जल अर्पित करते हैं, तो उसी श्रद्धा भाव से मजार पर चादर भी चढ़ाते हैं.यह एक अनूठी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है.मुस्लिम समुदाय के लोग भी, चाहे वह शुक्रवार का दिन हो या कोई त्योहार, इस मजार पर आकर सिर झुकाते हैं और अपनी दुआएं मांगते हैं.यह परंपरा आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है, जो पीढ़ियों से चली आ रही सांप्रदायिक सौहार्द की कहानी कहती है.

आस्था का संगम जहां मिट जाते हैं भेद

मदारेश्वर महादेव मंदिर में आकर यह स्पष्ट हो जाता है कि आस्था बांटती नहीं, बल्कि जोड़ती है.यहां न कोई धर्म छोटा है, न कोई रस्म पराई.यह मंदिर एक ऐसा पवित्र स्थल बन गया है जहां विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ आते हैं, एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करते हैं और एकजुटता का संदेश देते हैं. यह मंदिर भारत की उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जहां विभिन्न समुदायों के लोग सद्भाव और प्रेम के साथ रहते हैं.मदारेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली सामाजिक संदेश है. यह हमें सिखाता है कि असली भक्ति किसी धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह प्रेम, सम्मान और भाईचारे में निहित होती है.

डेढ़ महीने का श्रावण

बांसवाड़ा में श्रावण का डेढ़ महीने तक चलना भी अपने आप में एक विशेषता है.यह भक्तों को भगवान शिव की आराधना और भक्ति में लीन होने के लिए अधिक समय देता है.इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं.मदारेश्वर महादेव मंदिर इस विस्तारित श्रावण का केंद्र बिंदु बन जाता है, जहां हर दिन सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल गूंजती है.

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