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मजदूरों को होटल में ठहराने की याचिका खारिज, SC बोला- हम हर किसी का आइडिया नहीं मान सकते

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड 19′ के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर देश के होटलों, रेस्तराओं और अतिथि गृहों को आश्रय गृहों, क्वारेंटाइन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर में तब्दील करने संबंधी अर्जी शुक्रवार को ठुकरा दी। प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने नयी पूरक याचिका दायर करके देश के होटलों, रेस्तराओं और अतिथि गृहों को अधिगृहीत करके उन्हें आश्रय गृहों, क्वारेंटाइन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर में तब्दील करने के निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की विशेष खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि लोग तरह-तरह के विचार लेकर आ रहे हैं और हर किसी की सलाह नहीं सुनी जा सकती। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि सरकार ने पहले ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी है।

मेहता ने कहा कि संक्रमण के संभावित मरीजों या प्रवासी मजदूरों को उन सरकारी इमारतों में ठहराया जा रहा है, जहां उन्हें उचित मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध है, साथ ही राज्य सरकारें भी उनका ध्यान रख रही हैं। न्यायमूर्ति राव ने कहा कि लाखों लोग अपने लाखों आइडिया दे रहे हैं, इन सबको नहीं सुन सकते। गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों को समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराये जाने को लेकर श्री श्रीवास्तव ने एक और याचिका दायर की है, जिस पर न्यायालय ने पिछले दिनों सुनवाई की थी और केंद्र को कई तरह के निर्देश दिये थे।

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