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19 साल बाद भी न्याय का इंतजार…मुंबई ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने बाद छलका मृतकों के परिवार का दर्द

मुंबई में साल 2006 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 189 लोगों की मौत हुई थी. इसके साथ ही सैकड़ों लोग घायल हुए थे. हादसे के लगभग 19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने ब्लास्ट के सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट का ये फैसला सामने आने के बाद इन धमाकों में जान गवाने वाले परिवारों को बड़ा झटका लगा है. परिवार वालों को 19 साल बाद भी न्याय की आस है.

मुंबई में 11 जुलाई 2006 को मुंबई में हुए सीरियल लोकल ट्रेन ब्लास्ट में मारे गए परिवार वालों की आज सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद दोबारा जागने लगी है. 2006 को हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में जिन 189 लोगों की मौत हुई थी. उनमें भायंदर में रहने वाले गोविंद सोलंकी भी थे. गोविंद सोलंकी बीएमसी कर्मचारी थे जो उस शाम बोरीवली से विरार जाने वाली ट्रेन से भायंदर अपने घर आ रहे ,थे लेकिन अपने स्टेशन पहुँचने से महज़ कुछ मिनट पहले ही ट्रेन में जोरदार धमाका हुआ, जिसमें गोविंद सोलंकी समेत कई लोगों की मौत हो गई.

जन्मदिन के दिन ही ब्लास्ट के आरोपियों को किया गया बरी

इस वारदात के 19 साल बाद भी परिवार को न्याय मिलने का इंतज़ार है. गोविन्द सोलंकी का जन्मदिन 21 जुलाई को था और 21 जुलाई को ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया था. परिवार पहले ही शोक में डूबा था और इसी बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस ब्लास्ट के सभी आरोपियों को निर्दोष बताते हुए बरी कर दिया था. परिवार के लिए हाई कोर्ट का ये फैसला जख्मों पर नमक जैसा था.

आरोपियों को फांसी ही मिले- मृतक का परिवार

गोविंद सोलंकी और उनका पूरा परिवार न्याय की मांग कर रहा था. इस बीच अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी खत्म हुई उम्मीद को फिर से एक बार जिंदा कर दिया. गोविन्द सोलंकी की पत्नी लीला सोलंकी अपने पति की तस्वीर लिए सरकार से न्याय की गुहार लगा रही हैं. इसके साथ ही मंदिर में पूजा कर रही है. वे लगातार रो रही हैं और आरोपियों की फांसी की मांग कर रही है. उन्होंने रोते हुए कहा-हमारा पैसा ले लो,घर ले लो लेकिन आरोपियों को फांसी और सिर्फ फांसी दो.

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