बिहार में INDIA गठबंधन को झटका! JMM ने क्यों तोड़ा महागठबंधन से नाता? क्या लोकसभा चुनाव में होगा बड़ा नुकसान?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन में तकरार की कई बार खबरें सामने आई हैं. हालांकि कई नेताओं की तरफ से ये दावा किया गया कि सब कुछ ठीक है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. क्योंकि पहले दौर की वोटिंग के लिए नामांकन खत्म हो चुका है और अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. यही वजह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. JMM कुल 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली है.
महागठबंधन से अलग होने पर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा “हर पहलू पर बातचीत चल रही थी, लेकिन जब हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला और हमारी मांगी गई सीटों की संख्या भी नहीं दी गई. एक राजनीतिक दल के पास क्या विकल्प बचते हैं? इसलिए, हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि अब चुनाव लड़ने का फैसला सभी पार्टी के नेताओं ने ले लिया है. छह सीटों की घोषणा हो चुकी है और आज उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया जाएगा. उन्होने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम कुछ और सीटों पर भी उम्मीदवार उतार सकते हैं.
महागठबंधन को भुगतने होंगे परिणाम
मनोज पांडे ने कहा कि हमें महागठबंधन में कम आंका गया है. जबकि पूरे देश ने हमारे नेता और हमारी पार्टी के करिश्मे को देखा है. हमने कैसे फासीवादी ताकतों को झारखंड में चुनाव हराया था. उन्होंने कहा कि बिहार के सीमावर्ती इलाकों में हमारी पार्टी का अच्छा- खासा दबदबा है. अगर हम एकजुट रहते, तो भारत गठबंधन और भी प्रभावशाली प्रदर्शन करता, लेकिन हमें नजरअंदाज कर दिया गया. इसलिए, भारत गठबंधन को इसके परिणाम भुगतने होंगे.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेता पहले ही कह चुके थे, कि अगर उन्हें सम्मान नहीं दिया गया तो वे अकेले चुनाव लड़ना जानते हैं. उन्होंने कहा था कि उन्हें पता है कि कैसे चुनाव लड़ा जाता है. यही वजह रही कि अंतिम समय तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है.
महागठबंधन में खींचतान नहीं हुई कम
महागठबंधन में पिछले कई दिनों से खींचतान चल रही है. तमाम सहयोगी दलों की नाराजगी साफ तौर पर देखने को मिली है. कई सीटों पर तो कांग्रेस और आरजेडी दोनों ने ही अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. ऐसे में साफ है कि आने वाले चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. इसके अलावा कांग्रेस की बात की जाए तो वहां भी उनके प्रदेश अध्यक्ष का जमकर विरोध देखने को मिल रहा है. दूसरी तरफ एनडीए ने अपने प्रचार-प्रसार को रफ्तार दे दी है.