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मध्यप्रदेश

बाजार में सब्जी की तरह बेची जा रही थी एक्सपायरी दवा, छिंदवाड़ा स्वास्थ्य विभाग का छापा

छिन्दवाड़ा : कफ सिरप कांड के बाद छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य विभाग की लगातार कार्रवाई जारी है. इसी बीच साप्ताहिक हाट बाजार से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां कपड़े और बर्तन की दुकानों के बीच अवैध दवा दुकान सजी हुई थी. यहां बीच बाजार झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा चारपाई में लिटा कर मरीज का इलाज किया जा रहा था और चॉकलेट-बिस्किट की तरह एक्सपायरी डेट की दवाइयां भी बेची जा रही थी. इसी बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान छोड़कर भाग खड़े हुए.

एक्सपायरी डेट की दवाई बेच रहे थे झोलाछाप डॉक्टर

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुरेश नागवंशी ने बताया, ” लगातार शिकायत मिल रही थी की नवेगांव और कटकुही में हॉट बाजार के दिनों में झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान लगाकर नियम विरुद्ध मरीजों का इलाज कर रहे हैं. जैसे ही हमारी टीम नवेगांव पहुंची तो हमने देखा कि झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक में इलाज चल रहा था और अधिकतर दवाइयां एक्सपायर थी, जिन्हें मरीजों को बेचा जा रहा था. टीम के पहुंचते ही झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान छोड़कर भाग गए. हालांकि, उनके सहयोगियों को पकड़ा गया है.”

आदिवासी इलाकों में फैला है झोलाछाप डॉक्टरों का जाल

जुन्नारदेव विकासखंड आदिवासी बाहुल्य है इसलिए अधिकतर आदिवासी ग्रामीण शहरों में आकर इलाज नहीं करा पाते हैं. इसी का फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर गांव-गांव पहुंचकर मरीज का इलाज करते हैं, जिनके विरोध में अभियान चलाया जा रहा है. कटकुही के स्थानीय निवासी मनीष साहू ने बताया, ” गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है लेकिन यहां पर डॉक्टर की मौजूदगी नहीं होने की वजह से लोग मजबूरी में प्राइवेट और झोलाछाप डॉक्टर के पास इलाज कराते हैं.”

सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं डॉक्टर

सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उप स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में बनाए हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर की भी नियुक्ति होती है लेकिन अधिकतर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिना डॉक्टर नर्स के भरोसे संचालित हो रहे हैं. इस पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुरेश नागवंशी ने कहा, ”डॉक्टरों की कमी है लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अलग-अलग डॉक्टरों की अलग-अलग दिनों ड्यूटी लगाई जाती है. इसके अलावा हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टेली मेडिसिन की भी व्यवस्था है, जिसके जरिए मरीज देश के अलग-अलग डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं.”

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