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सहकारिता से समृद्धि! गृहमंत्री अमित शाह ने ‘अर्थ समिट 2025’ में की बड़ी घोषणा- ‘हर पंचायत में बनेगी सहकारी संस्था’

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आयोजित ‘अर्थ समिट 2025’ का उद्घाटन किया. सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दुनिया में सतत विकास का नया आदर्श स्थापित किया है. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, पशुपालन और सहकारिता को भारत की आर्थिक रीढ़ बताते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में देश का विकास मॉडल इन्हीं आधारों पर खड़ा होगा. इस दौरान गृहमंत्री शाह ने सहकार सारथी की 13 से अधिक नई सेवाएं और प्रोडक्ट लॉन्च किए. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हर पंचायत में सहकारी संस्था बनाई जाएगी.

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह दूसरी शिखर-वार्ता, देशभर में आयोजित की जा रही तीन अर्थ-सम्मिटों की श्रेणी में एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इन शिखर-वार्ताओं का उद्देश्य केवल देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण विकास के विभिन्न पहलुओं पर नए सिरे से विचार कर परिणाम-उन्मुख समाधान निकालना भी है.

उन्होंने कहा कि तीनों सम्मिटों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े चार मंत्रालयों के बड़े मुद्दों के समाधान तैयार किए जाएंगे, और अगले वर्ष दिल्ली में होने वाली तीसरी समिट में सभी विमर्शों का एक सुसंगत नीति-स्वरूप प्रस्तुत किया जाएगा.

मूल मंत्र को ही भूल बैठे हम- शाह

अमित शाह ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने कहा था कि यदि भारत को आगे बढ़ना है, तो उसके विकास की परिकल्पना गांवों को केंद्र में रखे बिना संभव नहीं है. लेकिन, आज़ादी के कुछ वर्षों बाद ही हम इस मंत्र को भूल बैठे. कृषि, पशुपालन और सहकारिता — ग्रामीण विकास के तीन प्रमुख स्तंभ — लंबे समय तक उपेक्षित रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण विकास को राष्ट्रीय विकास की धुरी बनाने का ऐतिहासिक परिवर्तन शुरू हुआ.

कोई नहीं छूटेगा पीछे- अमित शाह

उन्होंने कहा कि समग्र दृष्टिकोण के साथ हमने तय किया है कि आने वाले सालों में देश की प्रत्येक पंचायत में एक सहकारी संस्था स्थापित की जाएगी. सहकारिता के माध्यम से 50 करोड़ से अधिक सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे तथा सहकारिता का GDP योगदान वर्तमान की तुलना में बढ़ाया जाएगा. जब यह लक्ष्य पूरे होंगे, तब कोई भी व्यक्ति पीछे नहीं छूटेगा. चाहे वह पशुपालन करने वाली ग्रामीण महिला हो, या छोटे किसान हर कोई आगे रहेगा.

अमित शाह ने कहा कि तकनीक के बिना सहकारिता आगे नहीं बढ़ सकती है. छोटी कोऑपरेटिव्स के पास टेक इंफ्रास्ट्रक्चर का भार उठाने की क्षमता नहीं थी. नाबार्ड ने सहकार सारथी के माध्यम से सभी ग्रामीण बैंकों को 13+ डिजिटल सेवाएं उपलब्ध कराकर ऐतिहासिक कदम उठाया है.

गुजरात के बाद देश में लागू होगी योजना

अमित शाह ने बताया कि सभी जिला केंद्रीय, राज्य, कृषि और अर्बन कोऑपरेटिव बैंक एक ही टेक्नोलॉजी अम्ब्रेला के अंतर्गत आएंगे, आधुनिक बैंकिंग तकनीक बिना किसी आर्थिक बोझ के उपलब्ध होगी, वसूली, डिस्बर्समेंट, KYC, लीगल डॉक्यूमेंटेशन, अप्रेज़ल, वेबसाइट निर्माण आदि पूरी तरह टेक-इनेबल होंगे और ग्रामीण कोऑपरेटिव बैंकों में रियल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम लागू होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि RBI के सहयोग से एक मजबूत सहकारी बैंकिंग ढांचा खड़ा किया जा रहा है और जल्द ही e-KCC रखने वाला किसान विश्व के महंगे क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं प्राप्त करेगा.

आगे कहा कि अब राष्ट्रीय स्तर पर तैयार सहकारी डेटा के आधार पर जहांजहां वैक्यूम है, वहां विस्तार की योजना बनाई जाएगी. जरूरत वाले गांव/क्षेत्र की पहचान सॉफ्टवेयर के माध्यम से तुरंत हो सकेगी. पिछले दो वर्षों से चल रहे प्रोजेक्ट में बचे हुए वैज्ञानिक सुधार अगले वर्ष पूरे किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि गुजरात ने डेयरी सेक्टर में पूर्ण सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल स्थापित कर लिया है. उत्पादों का स्वदेशीकरण हो चुका है और लाभ सीधे किसानों को मिल रहा है. अब इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है.

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