गुजरात राज्यसभा उपचुनाव पर कांग्रेस पहुंची कोर्ट, अलग-अलग चुनाव कराने के फैसले को दी चुनौती

नई दिल्ली। गुजरात प्रदेश कांग्रेस ने राज्य की दो राज्यसभा सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा के लिए चुने जाने से ये दोनों सीटें खाली हुई हैं।
अमरेली से कांग्रेस विधायक और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेशभाई धनानी द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग को दोनों सीटों पर साथ-साथ चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
वकील वरुण चोपड़ा के जरिए दायर याचिका मंगलवार को तत्काल सुनवाई के लिए अवकाशकालीन पीठ के सामने रखी जा सकती है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा 15 जून को जारी प्रेस नोट में पांच जुलाई को दोनों सीटों पर चुनाव कराने का कार्यक्रम बताया गया था। शाह के गांधीनगर और स्मृति के अमेठी लोकसभा सीटों से चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं।
धनानी ने आयोग के आदेश को निरस्त करने तथा इसे असंवैधानिक, अवैध और शून्य घोषित करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने मांग की है कि आयोग को गुजरात सहित सभी राज्यों की रिक्त सीटें भरने के लिए उपचुनाव और चुनाव साथ-साथ कराने का निर्देश दिया जाए।
कांग्रेस को क्या नुकसान?
गुजरात की दोनों सीटों पर अगर एक साथ एक ही बैलट पेपर पर चुनाव हुए तो कांग्रेस को उसपर जीत मिल सकती है। वहीं विधायकों की संख्या के हिसाब से अगर चुनाव अलग-अलग बैलट पर होंगे तो जीत बीजेपी की होगी। संख्या बल के हिसाब से गुजरात में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोट चाहिए। एक ही बैलट पर चुनाव से उम्मीदवार एक ही वोट डाल पाएगा।
इस स्थिति में कांग्रेस एक सीट आसानी से निकाल लेती क्योंकि उसके पास 75 विधायक हैं। हालांकि चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक, विधायक अलग-अलग वोट करेंगे। ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा। इस तरह बीजेपी के विधायक जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है वे दो बार वोट करके दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं।