US में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासियों पर लटकी वापसी की तलवार, 7 लाख भारतीय होंगे प्रभावित

वाशिंगटन: अमरीका में रह रहे अवैध प्रवासियों पर वापसी की तलवार लटक गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत दिवस कहा था कि अमरीका अगले सप्ताह से अवैध रूप से रह रहे लोगों को खदेडऩा शुरू कर देगा। वर्ष 2016 के चुनाव प्रचार में यह ट्रंप का मुख्य मुद्दा था। वहीं अमरीका में रह रहे भारतीय वहां के सबसे शानदार और शिक्षित जातीय समूहों में से एक के रूप में उभरे हैं। अगर ट्रंप के इस आदेश का क्रियान्वन हो गया तो इसका बुरा असर लगभग 7 लाख भारतीयों पर पड़ेगा।
माना जा रहा है कि अमरीका में अनधिकृत रूप से रह रहे करोड़ों लोगों को इससे परेशानी होगी। ट्रंप के इस ऐलान से अमरीका में बिना वीजा रह रहे लोगों पर स्वदेश वापसी की तलवार लटक गई है। आप्रवासी प्यू रिसर्च सैंटर के एक अध्ययन के अनुसार अमरीका में 1.25 करोड़ से अधिक अनधिकृत आप्रवासी रह रहे हैं जिनमें से 15 लाख एशियाई हैं
अमरीका स्थित अन्य ग्रुप साऊथ एशियन अमेरिकंस लीडिंग टूगैदर की स्टडी के अनुसार अमरीका में 6.5 लाख से अधिक आप्रवासी भारतीय अवैध रूप से रहे हैं। साल 2010 के बाद इनमें 72 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। अमरीकी थिंक टैंक माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीच्यूट के शोध सहायक जेसिका बोल्टर ने बताया कि अन्य महाद्वीपों से अमरीका की सीमा पर आने वाले प्रवासियों की संख्या पिछले साल की तुलना में पहले से दोगुनी हो गई है।
एक आकलन के मुताबिक अमेरिका में लगभग सवा करोड़ विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं. इनमें सबसे ज़्यादा तादाद मैक्सिको और मध्य अमेरिका के लोगों की है. ख़बरों की मानें तो अवैध प्रवासियों के संबंध में अमेरिका और मैक्सिको में इसी महीने एक समझौता हुआ है। समझौते के मुताबिक अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले मध्य अमेरिकी प्रवासियों को मैक्सिको तब तक शरण देने को राज़ी हाे गया है जब तक उन पर विभिन्न अदालतों में चल रहे मुक़दमों का फैसला नहीं हो जाता।
इसके अलावा ग्वाटेमाला के बारे में ख़बर है कि वह भी अमेरिका से निकाले जा रहे प्रवासी नागरिकों को बड़े पैमाने पर अपने यहां शरण दे सकता है. हालांकि उसने इसकी पुष्टि नहीं की है। उधर अमेरिका से खदेड़े जाने की ख़बरों के मद्देनज़र बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासी नागरिक अमेरिकी सीमाओं पर इकट्ठा हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे यहां से दूसरे देशों का वीज़ा हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि वहां जाकर सुरक्षित शरण ले सकें।