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भारत में इसी महीने शुरू होगा रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का क्लीनिकल ट्रायल

मॉस्को। कोरोना वायरस की रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का क्लीनिकल ट्रायल इस महीने भारत समेत कई देशों में शुरू होगा।

रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का क्लीनिकल ट्रायल 40 हजार लोगों पर

रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के सीईओ किरिल दिमित्रीएव ने बताया कि अमेरिका में 30 हजार लोगों पर एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल शुरू होने से पहले ही रूस में 26 अगस्त को पंजीकरण के बाद के अध्ययन 40 हजार लोगों पर शुरू हो गए थे।

सऊदी अरब, यूएई, फिलीपींस और ब्राजील में भी होगा क्लीनिकल ट्रायल

किरिल दिमित्रीएव ने कहा कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फिलीपींस, भारत और ब्राजील में क्लीनिकल ट्रायल इस महीने प्रारंभ होंगे। तीसरे चरण के ट्रायल के प्रारंभिक परिणाम अक्टूबर-नवंबर, 2020 में प्रकाशित किए जाएंगे।

कोरोना वायरस की दुनिया की पहली पंजीकृत वैक्सीन

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 अगस्त को अपनी वैक्सीन का पंजीकरण कराया था और यह कोरोना वायरस की दुनिया की पहली पंजीकृत वैक्सीन है।

दिमित्रीएव ने कहा- दुनियाभर की 60 फीसद वैक्सीन का उत्पादन भारत में होता है

दिमित्रीएव ने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से रूस का अहम साझीदार रहा है। दुनियाभर की 60 फीसद वैक्सीन का उत्पादन भारत में ही होता है। रूस भारतीय साझीदारों की बेहद संतुलित सोच का स्वागत करता है जिनका शुरुआत से ही सवाल था कि वैक्सीन कैसे काम करती है। उन्होंने वैक्सीन को निशाना बनाने के बजाय इसे समझने की कोशिश की।

स्पुतनिक-5 के क्लीनिकल ट्रायल में वायरस को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडीज 1.5 गुना ज्यादा मिले

आरडीआइएफ के मुताबिक, ‘क्लीनिकल ट्रायल के सौ फीसद प्रतिभागियों में स्पुतनिक-5 ने स्थायी ह्यूमोरल और सेल्युलर प्रतिरक्षा तंत्र उत्पन्न किया। जिन स्वयंसेवकों को स्पुतनिक-5 वैक्सीन दी गई, उनमें वायरस को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडीज उन मरीजों से 1.4 से 1.5 गुना ज्यादा मिले जो कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं।’

चीन ने पहली बार प्रदर्शित की कोरोना वैक्सीन

चीन ने इस हफ्ते बीजिंग व्यापार मेले में अपनी स्वेदशी कोरोना वैक्सीन को पहली बार प्रदर्शित किया। इन्हें चीनी कंपनियों साइनोवैक बायोटेक और साइनोफार्म ने तैयार किया है। इनमें से कोई भी अभी बाजार में नहीं आई है, लेकिन निर्माताओं को उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने पर उन्हें इसकी स्वीकृति मिल जाएगी। साइनोवैक के प्रतिनिधि ने बताया कि कंपनी ने वैक्सीन फैक्ट्री का निर्माण कर लिया है। वहां प्रतिवर्ष 30 करोड़ डोज का उत्पादन किया जा सकता है।

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