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पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच भारत और चीन के बीच WMCC की बैठक, जल्‍द होगी कमांडर स्‍तर के सातवें दौर की वार्ता

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। दूसरी तरफ भारत और चीन के बीच मामले का हल निकालने के लिए बातचीत का सिलसिला भी लगातार जारी है। बुधवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित वर्किंग मेकेनिज्म ((Working Mechanism for Consultation and Coordination, WMCC) के तहत पांचवें दौर की बातचीत हुई। वार्ता का कोई सीधा नतीजा तो निकलता नहीं दिख रहा है लेकिन संतोषजनक यह है कि दोनों पक्ष आगे भी संवाद बनाए रखने पर सहमत हैं।

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, वार्ता में बीते 10 सितंबर को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई जिस पांच सूत्री फॉर्मूले पर सहमति बनी थी उसी को अमली-जामा पहनाने पर चर्चा हुई। बैठक के बाद दोनों देशों की ओर से अलग अलग बयान जारी करके बताया गया है कि आपसी संवाद को आगे भी बनाए रखा जाएगा। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब एक दिन पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति को लेकर जबरदस्त जुबानी जंग हो चुकी है।

चीन की ओर से पहले कहा गया था कि वह तत्कालीन पीएम चाउ एनलाई द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सात नवंबर 1959 के एक पत्र में प्रस्ताव किए गए एलएसी का पालन करता है। इस पर भारत ने चीन को दो-टूक बता दिया कि वह साल 1959 में एकतरफा परिभाषित एलएसी को कभी स्वीकार नहीं करता है। भारत का कहना है कि खुद चीन को भी इस बारे में बखूबी पता है। भारत ने कहा कि चीन को एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए…

बहरहाल, बुधवार को डब्लूएमसीसी के बाद जारी विज्ञप्‍त‍ि में दोनों देशों की ओर से नरम रुख दिखाया है। भारत ने कहा है कि इस बैठक में सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर चर्चा हुई। साथ ही 20 अगस्त को हुई बैठक के बाद सीमा पर हुई गतिविधियों की समीक्षा की गई। दोनों ही पक्ष मानते हैं कि महीने की शुरुआत में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत काफी महत्वपूर्ण रही है।

दोनों देश यह भी मानते हैं कि विदेश मंत्रियों के बीच जो सहमति बनी है उसको गंभीरता से लागू कराया जाना चाहिए। यही नहीं बीते 21 सितंबर को कोर कमांडर स्‍तर की बैठक और उसके बाद जारी संयुक्त बयान का भी जिक्र किया गया है। बयान में कहा गया है कि गलतफहमी को दूर करने और ग्राउंड पर विश्वास बहाली के लिए कदम उठाना जरूरी है। इसके लिए दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर उच्चस्तरीय बातचीत जारी रखेंगे।

इस बात की भी सहमित बनी है कि जल्द ही कमांडर स्‍तर के अगले दौर की बातचीत होगी ताकि मौजूदा समझौतों के आधार पर सैनिकों की वापसी सुनिश्चित की जा सके। उल्‍लेखनीय है कि रूस में विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों देश जिस पांच सूत्री फॉर्मूले पर सहमत हुए थे उनमें सैनिकों को शीघ्रता से पीछे हटाना, तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों से दूर रहना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना शामिल है। यही नहीं वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर शांति बहाल करने के अन्‍य जरूरी उपाय करना भी इस फॉर्मूले में शामिल है।

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