मोदी सरकार 2.0 ने पेश किया आर्थिक सर्वे, 7% रहेगी GDP की रफ़्तार, तेल की कीमतें भी होगी कम

नई दिल्ली: साल 2019-20 के लिए मोदी सरकार 2.0 शुक्रवार को अपना बजट पेश करने वाली है। इससे पहले मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में अपना अतंरिम बजट पेश किया था। वित्त मंत्री पीयुष घोयल ने इस बजट को शुक्रवार 1 फरवरी को पेश किया था। अंतरिम बजट में मध्यवर्ग से लेकर किसानों तक के लिए रियायतों की घोषणा की गई है। इन रियायतों में टैक्स छूट से लेकर किसानों की सहायता भी शामिल हैं। मोदी सरकार 2.0 में अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने चुनौतियां हैं कि वह आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतर सकें।
राज्यसभा और लोकसभा में आर्थिक सर्वे पेश कर दिया गया है। सर्वे के अनुसार, 2019-2020 में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी तक रह सकती है। इससे आगामी वित्त वर्ष के लिए नीतिगत फैसलों के संकेत भी मिले हैं। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे में कमी आई है और यह जीडीपी के सिर्फ 5.8 फीसदी रहा, जबकि इसके पिछले साल यह 6.4 फीसदी था। आर्थिक सर्वे के अनुसार अगर भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है तो लगातार जीडीपी में 8 फीसदी की ग्रोथ रफ्तार हासिल करनी होगी।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों से लोन के ब्याज दरों में कटौती करने में मदद मिलेगी। इसी तरह निवेश दर में जो कमी आ रही थी, वह भी अब लगता है कि रुक जाएगी। जनवरी से मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट पर आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि यह चुनाव संबंधी अनिश्चितता की वजह से था।
इकोनॉमिक सर्वे में खेती को लेकर कहा गया है कि खाद् वस्तुओं के दाम कम होने की वजह से शायद किसानों ने वित्त वर्ष 2018-19 में पैदावार कम किया है। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में कमी आने की वजह से पूंजीगत व्यय चक्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सर्वे में कहा गया कि स्थिर वृहद आर्थिक दशाओं की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था में स्थिरता रहेगी। हालांकि यह भी कहा गया है कि अगर ग्रोथ में कमी आई तो राजस्व संग्रह पर चोट पड़ सकती है।
हालांकि, सर्वे कुछ चुनौतियां भी सामने रखता है। जिस तरह का प्रचंड बहुमत सरकार को देश की जनता ने दिया है, उसकी वजह से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कई चुनौतियां हैं। आर्थिक सर्वे में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी आ रही है, जिसकी वजह से इस वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है।