बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली। Karnataka political Crisis कर्नाटक के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार (Karnataka Assembly Speaker KR Ramesh Kumar) ने कहा कि मैं बागी विधायकों की अयोग्यता और उनके इस्तीफों पर कल यानी बुधवार को फैसला लूंगा। यही नहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को अपने पूर्व के आदेश में संशोधन की भी मांग की। अब सुप्रीम कोर्ट कल बागी विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाएगा। बता दें कि अपने पूर्व के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया है कि सरकार गिरने की स्थिति में वह पांच दिन के भीतर नई सरकार का गठन कर लेगी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए कहा कि इस्तीफा देने वाले विधायक विधानसभा में नहीं जाना चाहते हैं। स्पीकर की ओर से उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं करके जबर्दस्ती की जा रही है। रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि इस्तीफा देने वाले विधायकों पर दबाव नहीं डाला जा सकता है। यदि ये पद छोड़ रहे हैं तो इनका इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पीकर विधायकों के इस्तीफों को कई दिनों तक लटकाए रख सकते हैं। कानून कहता है कि इस्तीफों पर जल्द फैसला लेना होगा। स्पीकर एक ही समय विधायकों के इस्तीफों और उन्हें अयोग्य ठहराने पर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए किया जा रहा मजबूर
बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायकों को अयोग्य करार देने के लिए ही स्पीकर ने उनका इस्तीफा पेंडिंग रखा है। इस पर बेंच ने रोहतगी से पूछा कि क्या विधायकों के इस्तीफों के बाद स्पीकर पर उन्हें अयोग्य करार देने का कोई सांविधानिक दायित्व था। इसके बाद रोहतगी ने कहा कि नियमों के अनुसार स्पीकर को फैसला लेना होगा। वह इस्तीफों को पेंडिंग नहीं रख सकते हैं। बागी विधायकों की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनके इस्तीफे नहीं स्वीकार करके फ्लोर टेस्ट के दौरान सरकार सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने दी यह दलील
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Senior advocate AM Singhvi) ने कहा कि स्पीकर को समयबद्ध तरीके से मामले को तय करने के लिए नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि स्पीकर को विशेष तरीके से फैसला लेने का निर्देश कैसे दिया जा सकता है। विधायकों की ओर से अध्यक्ष को वैध इस्तीफा सौंपा जाना चाहिए जबकि विधायक विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में अपने इस्तीफे सौंपने के पांच दिन बाद यानी 11 जुलाई को उनके सामने उपस्थित हुए।
राजीव धवन की दलील, याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन (Rajeev Dhawan) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत ऐसी याचिकाओं पर अदालत विचार नहीं कर सकती है। बागी विधायकों की ओर से लगाए गए आरोप गलत हैं कि स्पीकर ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम किया। धवन ने कहा कि इस मामले में नीयत बहुत महत्वपूर्ण है। 11 विधायकों को खास मकसद से निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे समय जब उन्हें विधानसभा स्पीकर से मिलना था सभी बागी मुंबई चले गए।
इस हफ्ते होगा सियासी संकट का पटाक्षेप
कर्नाटक में पिछले दिनों से चल रहे सियासी घमासान का पटाक्षेप इस हफ्ते होने की उम्मीद है। कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार की अगुआई कर रहे मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी गुरुवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। वहीं कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। हालांकि, स्पीकर ने अभी उनके इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन, मुंबई में होटल में ठहरे इन विधायकों के विश्वासमत के दौरान मौजूद रहने की संभावना कम ही है।
कांग्रेस-जदएस की तरफ से बागी विधायकों को मनाने के प्रयास विफल रहे हैं। बागी विधायकों ने मुंबई पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर कांग्रेस के नेताओं से खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि वो खड़गे, आजाद या कांग्रेस के अन्य किसी भी नेता से मिलना नहीं चाहते हैं। कर्नाटक के बागी कांग्रेस विधायक रामालिंगा रेड्डी (Ramalinga Reddy) ने कहा है कि मैं डॉक्टर को दिखाने गया था इसलिए देर होने के कारण स्पीकर से मिलने नहीं जा पाया। स्पीकर कार्यालय की ओर से मुझे बुलाया गया है। मैं आज या कल जाऊंगा। मैंने आंतरिक कारणों से इस्तीफा दिया है। फ्लोर टेस्ट के दौरान मैं मौजूद रहूंगा। मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।
भाजपा नेता येद्दयुरप्पा ने कहा है कि उन्हें अगले चार से पांच दिन में राज्य में सरकार बना लेने का भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘कुमारस्वामी बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। यह बात कुमारस्वामी भी जानते हैं। वह सदन में बढ़िया भाषण देने के बाद पद से इस्तीफा दे देंगे।’ बता दें कि पिछले साल चुनाव के बाद येद्दयुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे। 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105 सीटें मिली थी, लेकिन वह विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सके थे और विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस बोली, विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने को तैयार
विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने सोमवार को कहा, मुख्यमंत्री कुमारस्वामी गुरुवार सुबह ग्यारह बजे सदन में विश्वास मत प्रस्ताव रखेंगे। कल कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सत्तापक्ष व विपक्ष के नेताओं के साथ बातचीत में विश्वास मत के लिए गुरुवार का दिन तय हो गया। साथ ही, उन्होंने भाजपा की मांग पर विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। बैठक के बाद भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री येद्दयुरप्पा ने कहा, उनकी पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की बात कही थी। जिसके बाद सरकार द्वारा विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने की तिथि तय हुई। वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्दरमैया ने कहा, सरकार विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने को तैयार है।