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Uphaar Fire Tragedy Verdict: अंसल बंधुओं को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, खारिज की सजा निलंबन की मांग वाली याचिका

नई दिल्ली। उपहार सिनेमा कांड दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। उम्र के आधार पर उपहार अग्निकांड से जुड़े सुबूतों से छेड़छाड़ के मामले में निचली अदालत के फैसले पर राहत की मांग करने वाले अंसल बंधुओं को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सजा को निलंबित करने की मांग वाली सुशील अंसल और गोपाल अंसल की अपील याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया। मामले में अदालत का पूरा निर्णय जल्द ही अपलोड किया जाएगा। पीठ ने 27 जनवरी को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंसल बंधुओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि दोषसिद्धि के बाद बेगुनाही का अनुमान जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन कोई भी प्रणाली पहले दोषसिद्धि को अंतिम नहीं मानती है। उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता प्रक्रिया की धारा-389 की उपस्थिति (अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करना, जबकि सजा का निलंबन अपील लंबित है) का अर्थ यह है कि अपील लंबित रहने के दौरान निरंतर कारावास का कोई अनुमान नहीं है। सिंघवी ने अदालत से व्यक्तिगत स्वतंत्रता, कोरोना की वास्तविकता और याचिकाकर्ताओं की संबंधित उम्र को ध्यान रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध किया था।

वहीं, इससे पहले अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि सुबूतों के साथ छेड़छाड़ में शामिल होने के कारण मुकदमे में देरी के लिए अंसल भाई खुद जिम्मेदार हैं और अब वे जेल की अवधि को निलंबित करने की मांग नहीं कर सकते।

सत्र अदालत ने भी खारिज की थी चुनौती याचिका

दिसंबर माह में पटियाला हाउस की सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद सात साल की सजा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही जमानत देने से इन्कार कर दिया था। सुशील अंसल और गोपाल अंसल ने उम्र का हवाला देकर सजा निलंबित करने की मांग की है।

मजिस्ट्रेट अदालत ने करार दिया था दोषी

1997 के उपहार अग्निकांड से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट के मेट्रोपानिटल मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने अंसल बंधुओं पर 2.25-2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा अदालत ने मामले में अदालत के कर्मचारी रहे दोषी दिनेश चंद शर्मा व दो अन्य दोषी पीपी बत्रा एवं अनूप सिंह को भी सात सजा सुनाते हुए तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था। मामले में दो आरोपितों हर स्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्रा की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।

यह है मामला

सुबूतों से छेड़छाड़ का मामला 20 जुलाई 2002 को पहली बार तब सामने आया था जब दिनेश चंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। दिनेश को पहले निलंबित किया गया और फिर 25 जून 2004 को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि बर्खास्तगी के बाद अंसल बंधुओं ने शर्मा को 15 हजार रुपये मासिक वेतन पर रोजगार दिलाने में भी मदद की थी।

पुलिस ने माना था गंभीर मामला

इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिल्ली पुलिस ने माना था कि अंसल बंधुओं द्वारा सुुबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से आपराधिक न्याय प्रणाली में आम आदमी का विश्वास कम हुआ है। उस समय शहर का सबसे संवेदनशील मामला था और ऐसे मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ को हल्के में नहीं लिया जा सकता था। पुलिस ने आरोप पत्र में कहा था कि छेड़छाड़ किए गए दस्तावेजों में घटना के तुरंत बाद बरामदगी का विवरण देने वाला एक पुलिस मेमो, उपहार के अंदर स्थापित ट्रांसफार्मर की मरम्मत से संबंधित दिल्ली फायर सर्विस रिकार्ड, प्रबंध निदेशक की बैठकों के मिनट और चार चेक शामिल थे।

मुख्य मामले में दोषी ठहराए गए थे अंसल बंधु

उपहार सिनेमाघर में बार्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, लेकिन उनके उम्र व जेल में बिताए गए समय को ध्यान में रखते 30-30 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना देने की शर्त रिहा कर दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान दो आरोपित हर स्वरूप पंवार व धर्मवीर मल्होत्रा की मौत हो गई थी।

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