दुर्ग: दुर्ग-भिलाई के रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत भीड़ वाले इलाकों में टीम के सदस्य जानकारी जुटा रहे हैं।सड़कों पर खराब हालात में रह रहे बेघर बच्चों के लिए सरकार ने नई पुनर्वास नीति तैयार की है। नीति को सफलतापूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी विभिन्न विभागों को बांट दी गई है। नीति का नामकरण ‘बाल सक्षम’ किया गया है। इस पूरे कार्य की निगरानी मुख्य सचिव करेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के तहत सड़क जैसी परिस्थितियों में रहने वाले बालकों के पुनर्वास के लिए समुचित प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों के तहत ऐसे बालक, जिनके माता-पिता नहीं है या उनके परिजन अपने बालकों का समुचित रूप से लालन पालन करने में सक्षम नहीं है।उन बालकों के लिए विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता एवं अन्य सहयोग प्रदान किया जाना है। सर्वे का यह कार्य पूरे जिले में लगातार चल रहा है। सर्वे के बाद चिन्हित बच्चों को जरूरत के अनुसार रेस्क्यू किया जाएगा। फिर उन्हें बाल कल्याण समिति के पास लाकर किस तरह की मदद की जा सकती है, इस पर फैसला किया जाएगा।दुर्ग-भिलाई के हॉट स्पॉट क्षेत्रों में बच्चों की पहचानबाल सक्षम नीति के तहत सबसे पहले शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में हॉट स्पॉट की पहचान की जानी है, जहां पर बच्चों को मदद की सबसे अधिक आवश्यकता है। यह हॉट-स्पॉट बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बाजार जैसे अन्य भीड़ वाले क्षेत्र भी हो सकते हैं। इसके बाद जिला स्तर पर रेस्क्यू टीम का गठन किया जाएगा। बच्चों की पहचान के बाद उसे बाल कल्याण समिति के पास लाकर यह निर्णय लिया जाएगा कि बच्चे को किस प्रकार की मदद की आवश्यकता है।बस्तियों और रेलवे स्टेशन के आसपास कर रहे सर्वेदुर्ग शहर की परियोजना अधिकारी रचिता नायडू ने बताया कि घुमंतू और निराश्रित बच्चों की पहचान और चिह्नांकन का काम शुरू कर दिया गया है। टीम ने भिलाई नगर निगम के विभिन्न क्षेत्रों तथा दुर्ग नगर निगम के साईं मंदिर नेहरू नगर चौक शीतला मंदिर सहित विभिन्न स्लम बस्तियों में जाकर सर्वे किया। डीपीओ विपिन जैन भी साथ थे। ऐसे परिवारों से मुलाकात कर उन्हें किशोर न्याय अधिनियम के तहत मिलने वाली सहायता संबंधी प्रावधानों से अवगत कराया।कई विभागों के अधिकारी व कर्मचारी सर्वे में जुटेबाल सक्षम नीति के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करने बच्चे या परिवार को विभिन्न योजनाओं के लाभों के साथ जोड़ने की कवायद भी की जाएगी। जिले की सभी निकायों व जनपद क्षेत्रों में सड़क जैसी परिस्थितियों में रहने वाले बालकों का सर्वे संघन रूप से किया जा रहा है। सर्वे के इस कार्य में महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ नगरीय निकायों, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड लाइन के कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है।तैयार होगा अलग पोर्टल जिला पुलिस भी देगी सूचनाबाल सक्षम नीति के अंतर्गत लाभार्थी बच्चों को दो श्रेणी में बांटा गया है। एक तो वे बच्चे जिनका आशियाना सड़क ही होता है। दूसरे वे बच्चे तो दिनभर सड़कों पर रहने के बाद आसपास झुग्गी-झोपड़ी या परिवार के पास चले जाते हैं। इस प्रकार जीवन यापन करने वाले बच्चों की पहचान की जाएगी और उनसे संबंधित सभी प्रकार की जानकारी वेबपोर्टल में अपलोड की जाएगी। गाइडलाइंस के मुताबिक यातायात विभाग को ऐसे बच्चों की जानकारी देने अलग से सूचना तंत्र विकसित करना होगा।सरकार के निर्देश पर कराया जा रहा है सर्वे”सरकार ने नई पुनर्वास नीति तैयार की है। इसके तहत सड़कों पर खराब हालात में रहने वाले बच्चों का चिह्नांकन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्य विभागों का भी सहयोग लेकर सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है।”-विपिन जैन, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग
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