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पहली बार नियमों की जानकारी देने प्राचार्यों काे प्रशिक्षण दिया गया ताकि दस्तावेजी गलतियां और पेंडेंसी कम हो

बिलासपुर: जिले के प्राचार्यों को प्रशासनिक, वित्तीय और अकादमिक  विषयों की जानकारी देने पहली बार लखीराम अग्रवाल  सभागृह में कार्यक्रम हुआ।जिले के प्राचार्यों को प्रशासनिक, वित्तीय और अकादमिक विषयों की जानकारी देने पहली बार लखीराम अग्रवाल सभागृह में कार्यक्रम हुआ। यह प्राचार्य कल्याण संघ की मांग पर शिक्षा विभाग ने जिले के सभी प्राचार्यों की क्लास ली। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संयुक्त संचालक शिक्षा बिलासपुर आरएन हीराधर व विशिष्ट अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर डीके कौशिक थे। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण समारोह 2022 से सम्मानित किया गया। इसमें जिले के तीन शिक्षकों को ज्ञानदीप पुरस्कार और बारह शिक्षकों को शिक्षा दूत पुरस्कार दिया गया।कार्यक्रम में मौजूद प्राचार्यों ने कहा कि नियम न जानने के कारण वे कई गलतियां कर रहे हैं। उन्हें नियमों की जानकारी नहीं दी जाती। इसके कारण लिपिकीय गलती की सजा भी उनको दी जाती है। ऐसे कार्यक्रम होने से न्यूनतम गलती और न्यूनतम जांच की स्थिति निर्मित होगा। जिससे प्राचार्यों की गलती मानकर शुरू होने वाली जांच और उससे होने वाली पेंडेंसी को कम किया जा सकता है। अगर इसी प्रकार की जानकारी व प्रशिक्षण प्राचार्यों को नियुक्ति के समय दिया जाए तो गलती और कम होगी। इससे विभागीय कार्य में तेजी आएगी और नियमों के क्रियान्वयन भी सही तरीके से हो सकेगा। साथ ही विभाग और सरकार द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी को जल्दी प्रस्तुत कर सकेंगे।इनको किया गया सम्मानित: अध्ययन, अध्यापन और शिक्षा में नवाचार, रिजल्ट व सांस्कृतिक उपलब्धियां हासिल करने व जन व्यवहार के साथ शासकीय योजनाओं को विस्तारित करने पर मिडिल स्कूल के शिक्षक दुर्गेश कुमार देवांगन, मीरा रजक और शिक्षक एलबी वर्ग रूमला केरकेट्टा को ज्ञानदीप पुरस्कार दिया गया। वहीं प्राथमिक स्कूलों के सहायक शिक्षक निशा अवस्थी, दीपिका श्रीवास्तव, राजकुमारी आर्मो, सहायक शिक्षक एलबी दीप्ति दीक्षित, दिनेश चतुर्वेदी, अनिल दास मानिकपुरी, स्वाति कश्यप, रामेश्वर प्रसाद श्रीवास, संगीता सानन, चरण दास महंत, अमरदीप भोगल, कल्पना सिंह को शिक्षा दूत सम्मान दिया गया।व्याख्याताओं में अनुभव कम, प्रभारी प्राचार्य बनने पर हो रही ज्यादा गलतीइस दौरान यह भी बात निकल कर आई कि प्रभारी प्राचार्य ज्यादातर व्याख्याता हैं। कम अनुभव होने के कारण उनसे गलती भी ज्यादा होती है। इसलिए उन्हें ट्रेंनिग दी जानी चाहिए। यह भी कहा गया कि नियमों में लगातार बदलाव होने के कारण ऐसे कार्यक्रम लगातार होने से प्राचार्य जानकारी व नियमों से अपडेट हो जाते हैं।प्रश्नोत्तरी में के जरिए पूछा गया- संतान पालने कब ले सकते हैं छुट्‌टीप्राचार्यों ने सवाल पूछा कि जीपीएफ की राशि पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स देय होगा या नहीं? संतान पालन करने छुट्‌टी कब ले सकते हैं? सेवा में आने पर कर्मचारी अपना उत्तराधिकारी किसे बनाए और उसका चयन कैसे करें आदि सवाल पूछे गए। यहां सेवानिवृत्त के समय दस्तावेजीकरण, गणना, स्वत्व मिलता है उस प्रक्रिया की भी जानकारी ली गई।यह प्रशिक्षण दिया गयाप्राचार्यों को उप संचालक संदीप चोपड़े ने अभिलेख संधारण व स्कूल में दस्तावेज रखने के बारे बताया। उप संचालक प्रशांत राय ने सेवा पुस्तिका संधारण, खरीदी नियम, अवकाश नियम और सूचना का अधिकार की जानकारी दी। सेवानिवृत्त व्याख्याता मोहनलाल पटेल ने वेतन निर्धारण, आयकर, कैशबुक, चेक पंजी, पेंशन प्रकरण और वित्तीय जानकारी दी। सहायक संचालक पी. दासरथी ने ऑनलाइन, ग्रुप में भेजे जाने वाली जानकारी को भेजने के तरीके, मोबाइल एप के माध्यम से प्रशासनिक कार्यों को संपादित करने के तरीके, डायरी और प्राचार्यों द्वारा किए जा रहे तकनीकी कार्यों की जानकारी दी।संयुक्त संचालक आरएन हीराधर ने प्राचार्यों की स्कूल में भूमिका, प्रशासनिक व अकादमिक कार्य, समस्त प्रबंधन की जानकारी दी। जिला शिक्षा अधिकारी डीके कौशिक ने शिक्षक और शिष्य की महत्ता को बताया, साथ ही जिले में संचालित अकादमिक और प्रशासनिक स्थिति के बारे में जानकारी दी।

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