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अजय चंद्राकर ने कहा, चिठ्ठीबाज केवल चिट्ठी लिखने का नाटक कर सकते हैं

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखने पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि प्रदेश के चिट्ठीबाज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कोरोना संक्रमण के मृतकों को चार लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है। ऐसा कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि प्रदेश सरकार में अपने दम पर कोई भी काम करने का माद्दा नहीं है।

अजय चंद्राकर ने कहा कि अपने तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री बघेल अपने बूते कोई काम नहीं कर पाए हैं। प्रदेश की जनता को जो भी राहत मिली, केंद्र सरकार के सहयोग से मिली। इसके बावजूद प्रदेश सरकार और कांग्रेस ने केंद्र सरकार को सिर्फ कोसने का ही काम किया। पूर्व मंत्री ने कहा कि कोरोनाकाल में गरीबों-मजदूरों को मुफ्त राशन केंद्र सरकार ने दिया। वर्ष 2019-20 में 34 हजार करोड़ रुपये, 2020-21 में 38 हजार करोड़ प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार ने दिए हैं। चालू वर्ष 2021-22 के लिए प्रदेश को 44 हजार करोड़ मिलना अपेक्षित है।

चंद्राकर ने कहा कि केंद्र सरकार प्रदेश को भरपूर राशि मुहैया करा रही है। शर्म की बात यह है कि प्रदेश सरकार केंद्र की योजना के लिए राज्यांश तक नहीं दे पा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए राज्यांश नहीं देने के कारण प्रदेश के गरीबों के लिए निर्धारित 7.81 लाख आवास का लक्ष्य केंद्र सरकार को वापस लेना पड़ा। गरीबों को आवास के लगभग 11 हजार करोड़ रुपये का प्रदेश सरकार की लापरवाही और बदनीयती से नुकसान हो गया। प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत तीन मेडिकल कालेजों का नहीं खुल पाना प्रदेश सरकार की नाकामी का प्रमाण है।

कांग्रेस को 70 सीट क्या केंद्र से सिर्फ चिट्ठीबाजी के लिए मिली

अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री बघेल से पूछा कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को 70 सीटें क्या केंद्र से सिर्फ चिट्ठीबाजी के लिए दी है? अपने दम पर, अपने संसाधनों से तीन साल में इस सरकार ने एक भी काम क्यों नहीं किया? प्रदेश को कंगाल बनाकर छोड़ने वाले मुख्यमंत्री बघेल हर बात के लिए क्यों चिट्ठियां लिखते रहते हैं? उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के राजनीतिक स्वार्थ साधने और सोनिया-प्रियंका-राहुल के प्रति स्वामी भक्ति दिखाने के लिए प्रदेश के खजाने को अपनी पैतृक संपदा मानकर लुटाते समय मुख्यमंत्री को हिचक नहीं होती।

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