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यूरोप ने कार्गो से किया किनारा, भारत में रूस से तेल निर्यात मार्च में चौगुना

लंदन| भारत को रूस से तेल निर्यात इस महीने चौगुना हो गया है, जो यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से वैश्विक ऊर्जा प्रवाह के बड़े पैमाने पर पुनर्गठन का संकेत है। फाइनेंशियल टाइम्स ने यह जानकारी दी। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इसने व्यापारियों से रूसी तेल के कई कार्गो झपट लिए हैं, क्योंकि यूरोप में खरीदारों ने मास्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद देश के बड़े वस्तु बाजार को छोड़ दिया है।

रूस ने मार्च में अब तक भारत को प्रतिदिन 360,000 बैरल तेल का निर्यात किया है, जो 2021 के औसत से लगभग चार गुना अधिक है। कमोडिटी डेटा और एनालिटिक्स फर्म केप्लर के अनुसार, देश मौजूदा शिपमेंट शेड्यूल के आधार पर पूरे महीने के लिए 203,000 बैरल प्रतिदिन हिट करने की राह पर है। फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि निर्यात डेटा उन कार्गो का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें टैंकरों पर लोड किया गया है और ये टैंकर भारत के रास्ते में हैं।

केप्लर के शोध प्रमुख एलेक्स बूथ ने कहा कि भारत आमतौर पर सीपीसी खरीदता है, जो मुख्य रूप से कजाख और रूसी कच्चे तेल का मिश्रण है, लेकिन मार्च में बड़ी वृद्धि रूस के प्रमुख यूराल क्रूड के लिए थी।

एफटी ने कहा, “रूस से पहले से प्रतिबद्ध तेल कार्गो जो यूरोप में खरीदार नहीं ढूंढ सकते हैं, वे भारत द्वारा खरीदे जा रहे हैं। नई दिल्ली द्वारा किसी भी आधिकारिक घोषणा से पहले मार्च में भारत में निर्यात बढ़ गया।”

मंगलवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूसी तेल खरीदता है तो वह इतिहास के गलत पक्ष में होगा, हालांकि उसने स्वीकार किया कि खरीद अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करेगी।

एंबिट कैपिटल के रिसर्च एनालिस्ट विवेकानंद सुब्बारामन ने कहा, “भारतीय कंपनियां ज्यादा शिपिंग कॉस्ट को देखते हुए रूस से ज्यादा सोर्सिग नहीं कर रही थीं। यह अब बदल रहा प्रतीत होता है।”

न्यूयॉर्क में सूचीबद्ध टैंकर कंपनी फ्रंटलाइन के मुख्य कार्यकारी लार्स बारस्टेड ने कहा कि रूसी यूराल पर छूट लगभग 25-30 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि माल ढुलाई की दर केवल 3-4 डॉलर प्रति बैरल होगी।

फ्रंटलाइन और अन्य टैंकर कंपनियां प्रतिबंधों का पालन करने की जटिलता के कारण रूसी तेल के व्यापार से परहेज कर रही हैं, लेकिन कई तेल कंपनियां और प्रमुख व्यापारी कानूनी रूप से रूसी बैरल उठाने के लिए अनुबंध के तहत बाध्य हैं।

इस सप्ताह पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भारतीय सांसदों से बात करते हुए जोर देकर कहा कि भारत में ऊर्जा की कीमतें उतनी नहीं बढ़ी हैं, जितनी यूरोप और अमेरिका में हैं, केवल 5 प्रतिशत बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारत स्थानीय उपभोक्ताओं के हित में ‘अनुनय की सीमा’ के भीतर कार्य करेगा।

रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक और पुरी ने पिछले सप्ताह फोन पर बात की थी।

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