महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार हिट एंड रन केस के मामले में कोर्ट ने नाबालिग आरोपी के पिता और दादा को 14 दिन के लिए जूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. दोनों को 13 जून तक के लिए यरवदा सेंट्रल जेल भेजा जा रहा है. वहीं क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले में एक अज्ञात शख्स की तलाश कर रही है जिसने नाबालिग आरोपी के पिता और दादा की सबूतों को मिटाने में मदद की है. क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों की 5 दिन की कस्टडी भी कोर्ट से मांगी.
पुणे पोर्श कार हिट एंड रन केस के बाद नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. दोनों के खिलाफ जांच में एक के बाद एक पुलिस को कई सबूत हाथ लग रहे हैं. अपने बेटे को बचाने के लिए विशाल अग्रवार और दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने सबूतों को मिटाने की कोशिश की है. क्राइम ब्रांच ने कहा है कि इस दौरान इन दोनों का साथ एक तीसरे शख्स ने भी दिया है जिसकी तलाश फिलहाल की जा रही है.
गाड़ी-मोबाइल जब्त, जांच जारी
क्राइम ब्रांच ने कोर्ट में कहा कि इस पूरे मामले में फिलहाल इनवेस्टीगेशन की जा रही है. विशाल अग्रवाल और सुरेंद्र अग्रवाल की गाड़ी और मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं जिनकी जांच की जा रही है. वहीं पुलिस ने घर पर लगे सीसीटीवी फुटेज को भी जब्त किया है जिसे जांच के लिए भेजा गया है. क्राइम ब्रांच ने दलीलें पेश करते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों की 5 दिन की रिमांड मांगी थी हालांकि कोर्ट ने फिलहाल रिमांड नहीं दी और दोनों को जूडिशयल कस्टडी में भेज दिया है.
तीसरा व्यक्ति कौन?
क्राइम ब्रांच ने कोर्ट में कहा है कि विशाल अग्रवाल और सुरेंद्र अग्रवाल ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की है और सबूतों को भी मिटाया है. क्राइम ब्रांच ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम में किसी तीसरे शख्स ने भी इनकी मदद की है. पुलिस को फिलहाल यह पता नहीं चला है कि आखिर वह तीसरा शख्स है कौन? पुलिस सबूतों के आधार पर जांच में जुटी है. हालांकि, कोर्ट में विशाल अग्रवाल के वकील प्रशांत पाटिल ने दलील दी कि सीसीटीवी पुलिस कस्टडी में है, गाड़ी और मोबाइल पहले से ही पुलिस ने जब्त किए हुए हैं. ऐसी कंडीशन में कस्टडी की कोई जरूरत नहीं है.