इजराइल और ईरान के बीच 26 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर जंग शुरू हो चुकी है. पहली बार इजराइल ने ईरान पर लिए किसी एक्शन को स्वीकार किया है और ईरान ने भी इजराइली हमले में नुकसान होने की बात कबूली है. इज़राइल ने ईरान पर शनिवार को सटीक और विनाशक हमले किए हैं, जिनमें तेहरान और अन्य स्थानों पर कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया है .
इजराइली सेना (आईडीएफ़) का कहना है कि यह हमला अपने मकसद में सफल रहा है और उन्होंने ईरान को आगाह किया है कि किसी भी पलटवार का जवाब बेहद कड़ा होगा. आइए, समझते हैं कि दोनों देशों के पास इस समय कौन-कौन से विकल्प हैं और आगे क्या हो सकता है.
क्या ईरान चुप बैठेगा?
इजराइली हमले के बाद, ईरान ने शांत प्रतिक्रिया दी है. इसकी एयर डिफेंस फोर्स ने सिर्फ एक संतुलित बयान जारी किया है, जो पिछले हमलों पर हुई उनकी तीखी प्रतिक्रियाओं से काफी अलग है. इस बदलाव के कारणों पर विचार करते हुए यह माना जा सकता है कि या तो ईरान इस बार सावधानी से रणनीति बना रहा है, या उसने फिलहाल सीधे टकराव से बचने का निर्णय लिया है. इसके बावजूद, इजराइल को लेकर ईरान की चुप्पी को लंबे समय तक नजरअंदाज करना मुश्किल हो सकता है.
इजराइल का मकसद क्या है?
इजराइल का मकसद स्पष्ट है—ईरान के सैन्य और राजनीतिक ढांचे को कमजोर करना. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु पहले ही यह कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य ईरानी शासन में परिवर्तन लाना है. इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने भी इस अभियान को अस्तित्व की लड़ाई करार दिया है, जहां इजराइल का इरादा ईरान को सैन्य और राजनीतिक रूप से कमजोर करना है. इसके तहत, ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई और उनके नेतृत्व को चुनौती दी जा रही है.
आगे क्या हो सकता है?
इजराइल का अगला प्लान इस पर निर्भर करता है कि ईरान क्या प्रतिक्रिया करता है अगर ईरान ने इजराइल पर पलटवार किया, तो इजराइली सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे और भी बड़े और कड़े हमले करेंगे. हमास और हिजबुल्लाह की तरह, इजराइल इस बार ईरान की सैन्य और राजनीतिक लीडरशिप को पूरी तरह से समाप्त करने की रणनीति अपना सकता है. इसके साथ ही, सामरिक हमले और साइबर युद्ध के माध्यम से भी ईरान के महत्वपूर्ण ढांचे को निशाना बनाया जा सकता है.
ईरान के पास क्या विकल्प हैं?
ईरान के पास वर्तमान में दो विकल्प हैं:
- पलटवार करना: ईरान, इजराइल के खिलाफ सशक्त पलटवार कर सकता है, जिसके लिए उसके पास मजबूत सैन्य संसाधन हैं. हालांकि, इससे जंग का दायरा और बढ़ सकता है.
- कूटनीतिक और गुप्त प्रतिक्रिया: अगर ईरान खुलेआम हमला नहीं करना चाहता, तो वह गुप्त रूप से हमले या कूटनीतिक उपायों का सहारा ले सकता है. यह इजराइल के अंदरूनी विरोधियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के माध्यम से दबाव बढ़ाने की कोशिश कर सकता है.
सुप्रीम लीडर को लेना है बड़ा फैसला
पिछले चार दशक से ईरान के केंद्र में वहां के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं . हमास नेता इस्माइल हानिया और यह्या सिनवार हो या हिजबुल्लाह लीडर नसरुल्लाह , इजराइल ने अपने इंतकाम के नाम पर इन सब को मार गिराया. इजराइल के टारगेट पर अब हैं – ईरानी सुप्रीम लीडर . इजराइल स्पष्ट कर चुका है कि वह तब तक नहीं रुकेगा जब तक ईरान के वर्तमान शासन को हटा नहीं देता. ईरान इस बात को बखूबी समझ रहा है और अपनी सुरक्षा के लिए हर एक तरह के विकल्पों पर विचार कर रहा है .