उमरिया के बांधवगढ़ में हाथियों को मारने के लिए फसल में मिलाया था माइकोटाक्सिन, जिसके खाने से हुई 10 की मौत
उमरिया। उमरिया के बांधवगढ़ में फसल में मिलाए गए माइकोटाक्सिन खाने से ही 10 हाथियों की मौत हुई थी। माइकोटाक्सिन फंगस से बनने वाले विषैले यौगिक होते हैं, जो मानव के लिए भी घातक है। कुछ दिन बाद छोटा जंगली हाथी किसी वस्तु को खाने से बीमार हुआ था उसके शरीर में कंपन हो रहा था।
कोदो खाने से लखनौटी और रोहनिया गांव में 22 भैंसे भी हुई थीं बीमार
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अंतर्गत लखनौटी और रोहनिया गांव में 22 भैंस कोदो की फसल खाने से बीमार हो गई हैं। शासकीय पशु चिकित्सक ने मौके पर पहुंच कर इलाज किया था।
हाथी मृत्यु की घटनाओं के बाद बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया
अभी हाल ही में हुई हाथी मृत्यु की घटनाओं के बाद बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया है और अपने स्टाफ से मवेशियों की निगरानी कराई जा रही है और सैंपल गए थे। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अंतर्गत लखनौटी और रोहनिया गांव में 22 भैंस कोदो की फसल खाने से बीमार हो गई हैं। शासकीय पशु चिकित्सक मौके पर पहुंच कर इलाज कर रहे हैं।
माइकोटाक्सीन फैक्ट
- माइकोटाक्सिन, फंगस से बनने वाले विषैले यौगिक होते हैं।
- मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
- माइकोटाक्सिन, खेत में और भंडारण के दौरान बन सकते हैं।
- दूषित भोजन या चारा खाने से बीमारी से मौत हो सकती हैं।
- माइकोटाक्सिन से जुड़े कुछ प्रमुख लक्षण बताए गए हैं।
- उल्टी-दस्त, श्वसन संबंधी समस्याएं, भूख में कमी, कंपन शामिल हैं।
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया
- स्टाफ से मवेशियों की निगरानी कराई जा रही है और सैंपल लिए जा रहे हैं।
- सरकार की एसआइटी और एसटीएसएफ की टीमें मामले की जांच कर रही हैं।
- पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू भी निगरानी कर रहे हैं।
पहले भी हुईं घटनाएं
कोदो में होने वाले फंगल इनफेक्शन माइकोटाक्सीन की वजह से इसी साल शहडोल जिले के गोहपारू तहसील के ग्राम कुदरी-भर्री निवासी एक ही परिवार के पांच लोग बीमार हो गए थे, जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में दाखिल किया गया था। डाक्टरों को इन सबकी जान बचाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
कोदो की गहाई के दौरान कोदो खाने से कई बैलों की मौत हो गई थी
वर्ष 1999-2000 में अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद के एक गांव में कोदो की गहाई के दौरान कोदो खाने से कई बैलों की मौत हो गई थी। उस समया के विशेषज्ञों ने मोर्चा संभाला था।
सबसे पहले वर्ष 1980 के दशक में मध्यप्रदेश में ही हुई थी पहचान
कृषि वैज्ञानिक केपी तिवारी ने बताया कि यहां एक और खास बात यह है कि कोदो बाजार के बीजों में पाए जाने वाले माइकोटाक्सीन, साइक्लोपियाजोनिक एसिड सीपीए की पहचान सबसे पहले वर्ष 1980 के दशक में मध्य प्रदेश में ही हुई थी।
रात में दस से ग्यारह बजे के बीच खेतों में कोदो की फसल को खाया था
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दस हाथियों की मौत के बाद जांच करने पहुंची सभी टीम घटनाक्रम के पल-पल का ब्यौरा ले रहीं हैं। जांच टीमों को मिली जानकारी में यह महत्वपूर्ण है कि जंगली हाथियों ने रात में दस से ग्यारह बजे के बीच खेतों में कोदो की फसल को खाया था।
हाथियों की मौत के मामले में लापरवाही पर दो वन अधिकारी निलंबित
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी और सहायक संचालक फतेह सिंह निनामा को 10 हाथियों की मौत के मामले में लापरवाही बरतने पर शासन ने निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई रविवार देर शाम सचिव वन अतुल कुमार मिश्रा ने राज्यपाल के आदेश से की है।
वह नहीं लौटे, बल्कि मोबाइल फोन बंद कर लिया
निलंबन आदेश में कहा गया है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मृत्यु संबंधी प्रकरण की जांच के दौरान वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक गौरव चौधरी को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक ने अवकाश से लौटने के निर्देश दिए, लेकिन वह नहीं लौटे, बल्कि मोबाइल फोन बंद कर लिया।
हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने जवाब पेश किया था
हाथियों को पकड़ने के मामले में हाईकोर्ट में लगी एक याचिका में हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने जवाब पेश किया था। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही सारे निर्णय मध्यप्रदेश वन विभाग के आला अधिकारियों के मार्गदर्शन में बांधवगढ़ के अधिकारी करेंगे।
हाथी के आने की खबर से आसपास के गांव भी सतर्क
जंगली हाथियों के चंदिया में आने के बाद से वन अमला अलर्ट है।,पार्क प्रबन्धन व वन विभाग रेगुलर संयुक्त रूप से हाथियों की निगरानी कर रहे हैं। हाथी के आने की खबर से आसपास के गांव भी सतर्क हैं।
मध्य प्रदेश के जंगलों से हाथियों को पकड़ने के विरोध में हाई कोर्ट में लगी एक याचिका का जवाब देते हुए सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगल से पकड़े गए दोनों हाथियों को छोड़ने की बात कही है। दोनों हाथियों को रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ जाएगा।