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दिल्ली/NCR

Chandrayaan 3: चंद्रयान 3 की सफलता के लिए सीमा हैदर ने रखा व्रत, मांगी सफल लैंडिंग की दुआ

नोएडा: भारतीय चंद्रयान-03 कुछ ही घंटों बाद चांद की धरती पर लैंड करने जा रहा है। इंडिया अंतरिक्ष में इतिहास रचने से कुछ ही कदम दूर है। चंद्रयान-03 का Lander Module 23 अगस्त शाम 06:04 बजे लैंड करेगा। इस दौरान Pakistan से आई seema Haider ने चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के व्रत रखा है। साथ चंद्रयान- 3 की सफलता के लिए दुआ भी मांगी है।

भारत ने वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर लैंडर को उतारने का प्रयास किया था। हालांकि आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इस बार सफल लैंडिंग के लिए इसरो (ISRO) ने इसमें कई अतिरिक्त सावधानियां बरती हैं। इनमें सफलता आधारित डिजाइन के बजाय विफलता-आधारित डिजाइन शामिल है। इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-2 में सफलता-आधारित डिजाइन के बजाय इसरो ने चंद्रयान-3  में विफलता-आधारित डिजाइन को चुना, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि क्या विफल हो सकता है और इसे कैसे सुरक्षित रखा जाए और सफल लैंडिंग सुनिश्चित की जाए। इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और दूरदर्शन पर इसका लाइव प्रसारण होगा। देशवासी की ऐतिहासिक कामयाबी को साकार होते देख सकेंगे।

लैंडिंग मॉड्यूल को उतारने के चरण ऐसे होंगे:-

– पहला चरण : इस चरण में यान की सतह से 30 किमी की दूरी को घटा कर 7.5 किमी पर लाया जाएगा।
– दूसरा चरण : इसमें सतह से दूरी 6.8 किमी तक लाई जाएगी। इस चरण तक यान का वेग 350 मीटर प्रति सेकंड रह जाएगा, यानी शुरुआत से करीब साढ़े चार गुना कम।
– तीसरा चरण : इसमें यान को चंद्र सतह से महज 800 मीटर की ऊंचाई तक लाया जाएगा। यहां से दो थ्रस्टर इंजन उसे उतारेंगे। इस चरण में यान का वेग शून्य प्रतिशत सेकंड के बेहद करीब पहुंच जाएगा।
– चौथा चरण : इस चरण में यान को सतह के 150 मीटर करीब तक लाया जाएगा। इसे वर्टिकल डिसेंट कहते हैं, यानी खड़ी लैंडिंग।
– पांचवां चरण : इस चरण में यान में लगे सेंसर और कैमरा से मिल रहे लाइव इनपुट को पहले से स्टोर किए गए रेफरेंस डाटा से मिलाया जाएगा। इस डाटा में 3,900 तस्वीरें भी शामिल हैं, जो चंद्रयान 3 के उतरने वाली जगह की हैं। इस तुलना से निर्णय होगा कि चंद्र सतह से ऊपर जहां लैंडर स्थित है, वहां से उसे सीधे सतह पर उतारें तो लैंडिंग सही रहेगी या नहीं। अगर ऐसा लगा कि लैंडिंग की जगह अनुकूल नहीं है, तो वह थोड़ा दाईं ओर या बाईं ओर मुड़ेगा। इस चरण में यान चंद्र सतह के 60 मीटर तक करीब पहुंचाया जाएगा।
-छठा चरण : यह लैंडिंग का आखिरी चरण है, इसमें  लैंडर को सीधे चंद्र सतह पर उतार दिया जाएगा।

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