ब्रेकिंग
फाइटर पायलट, 4000 घंटे उड़ान का अनुभव… मनीष खन्ना ने संभाला दक्षिणी वायुसेना का कमान 10 साल में 8 लाख करोड़ से ज्यादा… शाह ने बताया केंद्र ने बंगाल को कितना पैसा दिया भारत स्वभाव से हिंदू राष्ट्र है, ये परम सत्य है… बाबा रामदेव का बड़ा बयान मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग की बड़ी कार्रवाई, दुर्लभ और संरक्षित जीवों की तस्करी का किया भंडाफोड़,... 2026 में ममता बनर्जी सरकार को हमेशा के लिए उखाड़ फेंकेंगे… कोलकाता में अमित शाह ने भरी हुंकार फ्लैट से आ रही थी बदबू, पड़ोसी के कॉल पर पहुंची पुलिस… अंदर फंदे से लटक रहे थे भाई-बहन के शव कल कहा था कुछ और आज हजारों लोगों के सर से छत छीन ली… CM रेखा गुप्ता पर बरसी AAP जून के महीने में हिमाचल के पहाड़ों पर बर्फबारी, कई जिलों में बारिश; जाने अगले पांच दिन कैसा रहेगा मौ... ‘चाहे प्राण क्यों न निकल जाए, मैं बांग्लादेश…’ धीरेंद्र शास्त्री ने पड़ोसी देश को लेकर किया बड़ा ऐला... कोलकाता के रेड रोड पर पहली बार ईद पर नहीं होगी नमाज, सेना ने नहीं दी परमिशन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी...
देश

आईआईटी और एनआईटी मातृभाषा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम चलाएंगे, IIT-BHU में हिंदी से होगी शुरुआत

नई दिल्लीः आईआईटी बीएचयू, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी रुड़की समेत कुछ अन्य आईआईटी, एनआईटी और कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 से मातृभाषा में पढ़ाई होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बृहस्पतिवार को नई शिक्षा नीति 2020 पर उच्चस्तरीय बैठक ली। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) जेईई मेंस और नीट के लिए राज्यों के प्रदेश शिक्षा बोर्ड के साथ बैठक कर मूल्यांकन के आधार पर राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं का पाठ्यक्रम तैयार करेगा। इस पर एक दिसंबर को अगली बैठक होगी।

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत राज्य और शिक्षण संस्थानों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने की आजादी दी गई है। इसी के तहत अगले सत्र से पायलट प्रोजेक्ट में चुनिंदा आईआईटी, एनआईटी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के तकनीकी कॉलेजों में इंजीनियरिंग प्रोग्राम की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। मसलन बंगाली, तमिल, कन्नड़, तेलगू, मलयालम, असमिया, कश्मीरी, गुजराती, मराठी, पंजाबी आदि भाषाओं में इंजीनियरिंग प्रोग्राम की किताब पढ़ने का मिलेंगी।

मातृभाषा से संपूर्ण विकास
दरअसल मोदी सरकार नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ अपनी संस्कृति व भाषा से भी जोड़ना चाहती है, ताकि उनका संपूर्ण विकास हो। इसी के तहत आठवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में अनिवार्य की गई है। यदि राज्य सरकारें चाहें तो मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत सामान्य डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई भी अपने यहां मातृभाषा में करवा सकती हैं। इसके लिए राज्यों के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की समिति की बैठकें चल रही हैं।

शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अधिकारियों को स्कॉलरशिप और फेलोशिप धनराशि समय पर जारी करने का निर्देश दिया है। छात्रों की शिकायतों और दिक्कतों को देखते हुए स्कॉलरशिप और फेलोशिप के मुद्दे पर एक हेल्पलाइन शुरू करने को कहा है। इसके अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्र प्रकोष्ठ सेल में जो भी शिकायतें हैं, उनका निवारण कर रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी।

Related Articles

Back to top button