भोपाल : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में 12 दिन का सफर पूरा कर रविवार शाम को राजस्थान में प्रवेश कर गई। भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश के छह जिलों से होकर गुजरी और कुल 380 किलोमीटर की दूरी तय की। मप्र कांग्रेस कमेटी की उम्मीद से बढ़कर यात्रा में हर शहर और गांव में भारी जनसैलाब उमड़ा और बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, ओमकारेश्वर, महू, इंदौर, उज्जैन और आगर मालवा में यात्रा का ऐतिहासिक स्वागत हुआ। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने ओंकारेश्वर और महाकाल के दर्शन किए। नर्मदा आरती की। जय सियाराम का नारा लगवाकर उसकी व्याख्या अपने अंदाज में की। इसका आम जन के मन मस्तिष्क पर गहरा असर हुआ है। यात्रा को मिले भारी जनसमर्थन से भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा संगठन सकते में है। कांग्रेस भले ही दावा करती रही है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इससे पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें जगी हैं।इस यात्रा में उमड़े जनसैलाब ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से लेकर अन्य सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है। उन्हें लगता है कि आज भी जनता का समर्थन उनके साथ है और यदि वे मिलकर मेहनत कर लें, तो 2023 में पार्टी फिर से सत्ता में वापसी कर सकती है। मप्र कांग्रेस कमेटी के लिए अच्छी बात यह है कि चुनाव से करीब एक साल पहले प्रदेश से होकर यात्रा गुजरी और नेताओं में उत्साह का संचार हो गया और वे एक मंच पर आ गए।वर्ष 2018 में कांग्रेस सत्ता में तो आ गई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद मार्च, 2020 में कमलनाथ सरकार गिर गई, जिससे भाजपा की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ. लेकिन कांग्रेस को अब लग रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा से इस बार कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। कांग्रेस अपने दम पर सरकार बना लेगी। मध्य प्रदेश की राजनीति के जानकार मानते हैं कि राष्ट्रवाद के मुद्दे को भाजपा ने एक प्रकार से हथिया लिया है, लेकिन राहुल गांधी की इस यात्रा से बीजेपी का राष्ट्रवाद का मुद्दा छिनता नजर आ रहा है। राहुल गांधी जिस तरह से सभाओं में आम आदमी, किसान, मजदूर, व्यापारियों, युवाओं के मुद्दे तथ्यों के साथ उठा रहे हैं, उससे हर तबका उनसे प्रभावित हो रहा है।क्या ये यात्रा सत्ता की यात्रा बनेगी?जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी की यात्रा आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है, लेकिन सत्ता की यात्रा अभी भी आसान नहीं है। यह पार्टी के संगठन पर निर्भर करता है कि वह नवंबर, 2023 तक यात्रा के दौरान उठाए गए मुद्दों को कैसे जीवित रखती है। यदि कांग्रेस नेता इसी जोश से चुनाव तक जनता के बीच सक्रिय रहे, तो उनकी सत्ता में वापसी का रास्ता साफ हो सकता है।
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