Breaking
महाकाल मंदिर में एक श्रद्धालु ने दूसरे का फोड़ा सिर, प्रेग्नेंट पत्नी को धक्का लगने पर हुआ विवाद पिता कोचिंग के बाहर लगाते है ठेला, बेटी ने क्रैक किया JEE मेन्स, बनेगी इंजीनियर रेवन्ना मामला: राहुल गांधी ने सीएम सिद्धरमैया को लिखा लेटर, जानें क्या कहा आयरा-नुपूर की शादी का नया वीडियो आया सामने, बेटी की शादी पर खूब रोए थे आमिर खान खूनी झड़प में बदली छात्रों की वर्चस्व की लड़ाई, स्कूल के बाहर चाकूबाजी में दो घायल सत्ता में बने रहने के लिए BJP हिंदुओं में डर पैदा करने की कर रही है कोशिश, फारूक अब्दुल्ला ने साधा न... मई का महीना कूल-कूल… दिल्ली-UP, हरियाणा समेत इन राज्यों में बारिश का अलर्ट, गर्मी से लोगों को मिलेगी... ‘जानते थे फिर भी रेवन्ना को दिया टिकट’… कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत्र का पीएम पर हमला पुंछ में वायुसेना के काफिले पर आतंकी हमला, कई जवान घायल पाकिस्तान में बिरयानी को लेकर बवाल, पैसे मांगने पर भड़के ग्राहकों ने की तोड़फोड़

इलाहाबाद हाईकोर्ट बोला, कानून का इस्तेमाल सार्थक व बेहतरी के लिए हो

प्रयागराज । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय़ में कहा है कि अपराध कानून को गणित की तरह लागू नहीं किया जा सकता। कानून का इस्तेमाल सार्थक व बेहतरी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने विजातीय नाबालिग लड़की से शादी करने के मामले में लीक से हटते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी युवक को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही अपने नवजात बच्चे के साथ राजकीय बाल गृह खुल्दाबाद में रह रही लड़की को भी उसके पति (याची) के साथ जाने देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने लड़के पर कठोर शर्तें लगाई हैं कि वह 5 लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट लड़की और उसके बच्चे के पक्ष में कोर्ट के समक्ष जमा करेगा।
कोर्ट ने कहा कठोर पॉक्सो कानून नाबालिग लड़की को यौनाचार के अपराध से संरक्षण देने के लिए जरूरी है। अपराध भले ही गंभीर है लेकिन इसे सार्थक ढंग से लागू किया जाना चाहिए। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की एकलपीठ ने फतेहपुर खागा के अतुल मिश्र की जमानत अर्जी को विशेष स्थिति में स्वीकार करते हुए यह अहम आदेश दिया है। मुकदमे के विचारण में पूरी तरह सहयोग करेगा। ऐसा न करने पर विचारण न्यायालय उसकी जमानत निरस्त करने और उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। कोर्ट ने दो किशोरों द्वारा सामाजिक बंधनों को तोड़कर प्रेम विवाह करने और उसके बाद मामला पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाने को देखते हुए इस प्रकरण को विशेष परिस्थिति का मानते हुए यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने समस्त परिस्थितियों की समीक्षा करते हुए टिप्पणी की कि मौजूदा हालात में किशोरों की शारीरिक सामाजिक जरूरतों को समझने की आवश्यकता है। जहां अभिभावक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने में असफल रहते हैं, वहां किशोरों पर उनकी नासमझी का दोष दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करा देने से अभिभावकों की असफलता से उत्पन्न समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

महाकाल मंदिर में एक श्रद्धालु ने दूसरे का फोड़ा सिर, प्रेग्नेंट पत्नी को धक्का लगने पर हुआ विवाद     |     पिता कोचिंग के बाहर लगाते है ठेला, बेटी ने क्रैक किया JEE मेन्स, बनेगी इंजीनियर     |     रेवन्ना मामला: राहुल गांधी ने सीएम सिद्धरमैया को लिखा लेटर, जानें क्या कहा     |     आयरा-नुपूर की शादी का नया वीडियो आया सामने, बेटी की शादी पर खूब रोए थे आमिर खान     |     खूनी झड़प में बदली छात्रों की वर्चस्व की लड़ाई, स्कूल के बाहर चाकूबाजी में दो घायल     |     सत्ता में बने रहने के लिए BJP हिंदुओं में डर पैदा करने की कर रही है कोशिश, फारूक अब्दुल्ला ने साधा निशाना     |     मई का महीना कूल-कूल… दिल्ली-UP, हरियाणा समेत इन राज्यों में बारिश का अलर्ट, गर्मी से लोगों को मिलेगी राहत     |     ‘जानते थे फिर भी रेवन्ना को दिया टिकट’… कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत्र का पीएम पर हमला     |     पुंछ में वायुसेना के काफिले पर आतंकी हमला, कई जवान घायल     |     पाकिस्तान में बिरयानी को लेकर बवाल, पैसे मांगने पर भड़के ग्राहकों ने की तोड़फोड़     |    

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए सम्पर्क करें