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कांग्रेस प्रचार कमेटी की बैठक में हंगामा, नवजोत सिद्धू ने सीएम चन्नी व डिप्टी सीएम रंधावा पर साधा निशाना

चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस की चुनाव प्रचार कमेटी की पहली बैठक में गत दिवस खासी गरमागरमी हुई। इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना तीखा रुख बरकरार रखा। कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने सुझाव मांगा कि पार्टी किस प्रकार का प्रचार चाहती है- व्यक्ति केंद्रित, उपलब्धि आधारित या विश्वसनीयता आधारित। इस पर सिद्धू ने कहा,’हर घर पर जिसकी फोटो लगी है, वोट भी उन्हीं से डलवा लो। प्रचार तो शुरू हो गया है।’ उनका इशारा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ था। सिद्धू जिस समय यह बात कह रहे थे, उस समय मुख्यमंत्री वहां पर मौजूद नहीं थे। वह किसी से फोन पर बात करने के लिए बाहर निकल गए थे

सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की उपस्थिति में यह मुद्दा भी उठाया कि जिन नेताओं के रिश्तेदारों को चेयरमैन या विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर लगाया जा रहा है, उन्हें हटाना चाहिए। सिद्धू ने यहां भी मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने रंधावा के दामाद तरुणवीर सिंह को एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया है।

करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक में पार्टी किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच सकी, लेकिन इस बात पर ज्यादा संभावना बनी कि राहुल गांधी के रोडमैप के हिसाब से कांग्रेस संयुक्त चेहरे को ही सामने रखकर प्रचार प्रोग्राम तैयार करे। पार्टी सूत्र बताते हैं कि बैठक में चर्चा हुई की क्या एससी चेहरे को आगे रखकर पार्टी के प्रचार पर रोड मैप तैयार किया जाए या उपलब्धियों के आधार पर प्रचार किया जाए, लेकिन सिद्धू के रुख को देखते हुए कांग्रेस एससी चेहरे पर चुनाव प्रचार का दांव खेलने से डर रही है, क्योंकि जिस प्रकार से सिद्धू ने मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना कह दिया कि सभी घरों, दुकानों पर जिसकी फोटो लगी है, उसी से वोट ले लेनी चाहिए, उससे कांग्रेस यह कदम उठाने से घबरा रही है।

सिद्धू के रुख ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस उपलब्धियों पर केंद्रित प्रचार से भी कतरा रही है, क्योंकि अगर पार्टी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के तीन माह के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनवाएगी तो उन्हें साढ़े चार साल के कैप्टन अमरिंदर सिंह सिंह के कार्यकाल की उपलब्धियों को भी शामिल करना पड़ेगा। इसका लाभ कैप्टन को मिल सकता है। विश्वसनीयता पर आधारित प्रचार भी पार्टी को नहीं भा रहा। क्योंकि इससे 2017 में किए गए घर-घर रोजगार, किसान कर्ज माफी, बेअदबी कांड के दोषियों को सजा, नशे का खात्मा, 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता जैसे वादे भी सामने आ जाएंगे। इनका जवाब देना कांग्रेस के लिए चुनौती भरा हो सकता है।

लोगों के सवालों के देने होंगे जवाब

पार्टी यह मान रही है कि 2022 के चुनाव ‘वन वे’ नहीं बल्कि ‘टू वे’ होगा। क्योंकि लोग मुखर होकर नेताओं व पार्टियों से सवाल पूछ रहे हैंं। इसलिए पार्टी को सामने से आने वाले सवालों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस पार्टी ने एससी कार्ड खेला था। पार्टी ने जोर-शोर से यह बात कही थी कि उत्तर भारत में पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां एससी बिरादगी का मुख्यमंत्री बनाया गया। ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस चुनाव में इसी आधार पर अपना प्रचार अभियान चलाएगी, लेकिन चुनाव के नजदीक आते-आते कांग्रेस इससे कतराने लगी है। अब पार्टी संयुक्त चेहरे की बात कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा, पार्टी के हर फैसले से सहमत

साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में पार्टी किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि वह पार्टी के हर फैसले के साथ है। पार्टी जैसे प्रचार अभियान बनाएगी वह उसे मानेंगे। बैठक में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, कार्यकारी प्रधान संगत सिंह गिलजियां, सुखमिंदर सिंह डैनी, कैबिनेट मंत्री परगट सिंह, एआइसीसी के सचिव व विधायक रमिंदर आंवला भी मौजूद थे।

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