ब्रेकिंग
दिव्यांग विवाह समारोह में व्हील चेयर पर दुल्हन, दूल्हे के साथ लिए फेरे…भावुक हुए लोग पिथौरागढ़ में लैंडस्लाइड से बंद हुई सुरंग… अंदर फंस गए 19 मजदूर, अब तक 8 को बचाया केंद्र सरकार राज्य के सभी 60,000 करोड़ रुपये के फंड जारी करे : भगवंत मान ने प्रधानमंत्री से की अपील बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 14936 लोगों को सुरक्षित निकाला गया : हरदीप सिंह मुंडियां पीएम मोदी ने किया हैदराबाद लिबरेशन डे का जिक्र, बताए निजाम और रजाकरों के अत्याचार महाराष्ट्र मराठा आरक्षण: कल से पानी भी छोड़ देंगे मनोज जरांगे पाटिल, समर्थकों से बोले- किसी से रेनको... दिल्ली: ‘साबुन, ऑल आउट, स्प्रे…’ फैक्ट्री में बन रहे थे नकली प्रोडक्ट, इन्हें मिला था सप्लाई का जिम्... लखनऊ: धमाके से आधा मकान तबाह, हर तरफ धुआं और लपटें…जिंदा जल गया फैक्ट्री मालिक आलम का परिवार; बेहटा ... दो ब्रेन सर्जरी के बाद भी सद्गुरु ने बाइक से पूरी की कैलाश यात्रा, 18 हजार फीट ऊंचाई तक गए, बताई योग... ओडिशा में 1,396 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में ईडी ने पोर्श, बीएमडब्ल्यू और आभूषण जब्त किए
उत्तरप्रदेश

मथुरा-वृंदावन में शराब-मांस की बिक्री पर लगे बैन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट से याचिका खारिज

यूपी सरकार ने मथुरा-वृंदावन कृष्ण जन्म भूमि के 10 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में शराब और मांस की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस रोक के खिलाफ वृंदावन की सामाजिक कार्यकर्ता शाहिदा की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई थी जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।  इस याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लिखा, ‘भारत महान विविधता का देश है। यदि हम अपने देश को सभी समुदायों और संप्रदायों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान के लिए एकजुट रखना चाहते हैं तो इस तरह के कदम नितांत आवश्यक है।’

कोर्ट ने आगे कहा, ‘हमारे पास एक ऐसा संविधान है जो धर्मनिरपेक्ष हैं और जो देश में सभी समुदायों, संप्रदायों, भाषाई और जातीय समूह आदि को पूरा करता है। यह भारत का संविधान है जो हमें हमारी सभी विविधता के बावजूद एक साथ रखता है। क्योंकि संविधान सभी समुदायों व संप्रदायों को समान सम्मान देता है। कोर्ट ने कहा, यह आदेश नगरपालिका के सिर्फ 22 वार्डों के लिए है इसलिए इससे किसी के मौलिक अधिकार का कोई हनन नहीं हो रहा है। बता दें कि याचिका में पसंद का भोजन करने पर इन वार्डों की पुलिस द्वारा परेशान करने की आशंका जताई गई थी और ऐसा होने का आरोप भी लगाया गया था।

कोर्ट ने इसके पीछे कोई आधार नहीं माना। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा- इस तरह की घोषणा राज्य का विशेषाधिकार है। कोर्ट  ने यह भी कहा कि जनहित याचिका में प्रतिबंध लगाने की सरकारी अधिसूचना और आदेश को चुनौती नहीं दी गई है, इसलिए उसकी वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की जा रही है और ना ही उसका परीक्षण किया जा रहा है।

Related Articles

Back to top button