भोपाल में भी चल रहे हैं नियम विरुद्ध कोचिंग सेंटर- रजनीश खरे जी (भोपाल सिटी इनफार्मेशन पोर्टल) का खास लेख

अख़बारों में ऐसी फोटो आपकी या हमारी या हमारे बच्चों की भी आ सकती है
2 दिन पहले सुरत शहर की घटना दिल दहलाने वाली थी। मैं उस ही दिन शाम को काफी कुछ लिखना चाहता था लेकिन दुर्भाग्य से उसी समय मेरा फोन घुम गया और मैं अपने विचार नहीं रख सका ।
कुछ लोगों ने ग्रुप में पोस्ट डालीं, अधिकांश कोचिंग क्लासेज को दोष दे रहे थे ? क्या ऐसी घटना सिर्फ कोचिंग में ही हो सकती हैं ? हमारे शहर में ऐसा कुछ हो सकता है की नहीं ?
अब मैं आपको बताता हूं, हम भोपाल वासी बारूद के किस ढेर पर बैठें हैं।
भोपाल शहर में अधिकांश व्यावसायिक इमारतें नियम विरूद्ध अवैध तौर पर बनी हैं।
आपमें से अधिकांश लोगों को लगता है कि महाराणा प्रताप नगर एक पूर्णतः व्यावसायिक क्षेत्र है। जितनों को ऐसा लगता है आप सब गलत है।
महाराणा प्रताप नगर में सिर्फ भूतल पर ही व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति है, ऊपर के तल सिर्फ रिहायशी इस्तेमाल के लिए है। इसके अलावा वहां सिर्फ और सिर्फ भूतल और 2 ऊपरी तलों की कानूनी तौर पर निर्माण की परमीशन है। लेकिन आपको ध्यान है कि वहां एक भी बिल्डिंग ऐसी हो ? सभी बिल्डिंगों में सबसे पहले तो एक पूरी मंज़िल मेजैनाइन के नाम पर अवैध तौर पर बनाई गई हैं। मेजानाइन का मतलब होता है ज्यादा उचाई वाली दुकानों के एक तिहाई हिस्से पर स्लैब डालने की इजाजत (लेकिन सामने से पूरी खुली रहेगी, दीवार नहीं बनाई जा सकती )।
मुझे तो ध्यान ही नहीं ऐसी कोई दुकान देखा हो मैंने, अधिकांश बिल्डिंगों में मेज़ानाइन के नाम पर पूरा का पूरा एक अतरिक्त तल ढाल दिया गया है। नियमानुसार मेजेनाइन तल में अंदरूनी पार्टीशन वाल भी नहीं डाली जा सकती, यहाँ तो दुकाने काट काट कर बेच / किराये से दी गयीं हैं
अब बात करते हैं अतरिक्त तलों की, महाराणा प्रताप नगर में बहुत सारी बिल्डिंगों में अवैध तरीके से तीसरी चौथी और कुछ कुछ ने तो पांचवी मंजिल भी बनाई हुई है.
एक और बिल्डिंग का हिस्सा जो पूर्णतः अवैध है वो है बेसमेंट . बेसमेंट का हिस्सा सिर्फ पार्किंग या बिल्डिंग के लिए जरुरी मशीन रखने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है.इसका इस्तेमाल रिहायशी या व्यावसायिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता . आप महाराणा प्रताप नगर में कितने बेसमेंट में पार्किंग कर सकते हैं ?
आप सोच रहे होंगे की अवैध निर्माण और आगजनी का क्या सम्बन्ध . जी उसका सीधा सम्बन्ध आग लगने की स्तिथि में बचाव से है. अलग अलग उचाई की बिल्डिंगो में आग से बचने के अलग अलग नियम हैं, सीढ़ियों की संख्या, सीढ़ियों की चौड़ाई, आपातकालीन निकास, ये सब अवैध इमारतों में होते ही नहीं. साथ ही जब क्षेत्र की प्लानिंग एक विशेष घनत्व को ध्यान में रख कर की जाती है , योजना से ज्यादा घनत्व बढ़ने से सडकों की चौड़ाई कम पड़ती है , पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने से सड़क पर ही बेतरतीब तरीके से गाडी खड़ी कर दी जाती हैं जो फायर ब्रिगेड के कार्य में रुकावट डालती है।
हम अब कुछ विशेष बिल्डिंगो के के बारे में बात करते हैं, ज्योति शॉपिंग काम्प्लेक्स, सकरी सी सर्विस रोड पर बनी यह बिल्डिंग आज भोपाल में मोबाइल फ़ोन का सबसे बड़ा बाजार हो गयी है. वो भी कहाँ तहखाने में जो नियमानुसार पूर्णतः गलत है .तहखानों ( Basement ) के लिए एक और नियम है, तहखाना भूतल से बड़ा नहीं हो सकता, आप इस बिल्डिंग को गौर से देखेंगे तो आपको पता लगेगा की जमीन के एक एक इंच का पूरा पूरा इस्तेमाल किया गया है. बड़ी इमारतों पर लागू होने वाले मिनिमम ओपन स्पेस ( MOS ) के नियमों की हर जगह धज्जियाँ उड़ाई गयीं हैं. इस ही ईमारत में एक सुप्रसिद्ध रेस्टोरेंट है बापू की कुटिया, उस रेस्टोरेंट को जगह के इस्तेमाल के लिए इनाम मिलना चाहिए. सकरी सीढ़ियों से ग्राहक भूतल से तहखाने में पहुँचता है. कभी आपने सोचा है सीढ़ियों में ही आग लग जाये तो तहखाने वाले ग्राहक जो आप और हम भी हो सकते हैं उनका क्या होगा . अग्निशमन विभाग फायर NOC ऐसे स्थानों को कैसे दे देता है? या फिर इनको जरुरत ही नहीं फायर NOC की ? अगर इस ईमारत में कभी आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां कैसे और कितनी देर में पहुंचेंगी ये बताना बड़ा मुश्किल है .
आज मैंने सिर्फ महाराणा प्रताप नगर और उसकी मात्र एक ईमारत ( चूँकि वो वहां की सबसे प्रसिद्द और शायद सबसे ज्यादा भीड़ वाली ईमारत है) का जिक्र किया है , लेकिन वास्तविकता तो ये है की वहां की तक़रीबन हर ईमारत नियमों की धज्जियाँ उड़ाती हैं .
इस ही तर्ज़ पर, पुरे नए भोपाल में हर जगह, १० नंबर, ११ नंबर, गुलमोहर, त्रिलंगा, रोहित नगर, होशंगाबाद रोड, कोलार रोड, हर तरफ सुरक्षा की परवाह किये बिना सैकड़ों इमारतों में अवैध निर्माण और इस्तेमाल हो रहा है . अगर मैं इस ग्रुप में एक डेली सीरीज चलाऊं , भोपाल की असुरक्षित इमारतों पर तो शायद ४ – ५ साल तक रोज़ लिख सकता हूँ किस प्रकार बड़े व्यापारी / बिल्डर अफसरों और नेताओं के साथ मिलकर हम आम जनता की जान जोखिम में डाल रहे हैं.
मैं चाहता हूँ की ग्रुप से कुछ लोग जो आर टी आई लगाना जानते हों कृपया पता करें भोपाल की कितनी व्यावसायिक इमारतें / अस्पताल / शिक्षणसंस्थानों के पास फायर एन ओ सी है और कितनो के निर्माण नियम अनुसार हुए हैं . कौन कौन तैयार है इसके लिए ?
यह पोस्ट “भोपाल सिटी इनफार्मेशन पोर्टल” से ली गयी है ,यह एडमिन रजनीश खरे जी ने लिखी है , हम उनके आभारी हैं जो उन्होंने इन और सबका ध्यान आकर्षित किया ।