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दिल्लीवालों पर भारी पड़ेगी इस बार की दिवाली…दमघोंटू हवा चलने की आशंका

नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषित हवा की स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है और पराली जलाने का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है। प्रदूषण के कारणों में पराली का योगदान आठ प्रतिशत रहा। सबसे ज्यादा प्रभाव वाहनों, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले तत्वों से दिख रहा है। हवा की चाल बदलने से धुंध कुछ कम जरूर दिखाई दी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश व पड़ोसी राज्यों में हवा का दबाव ऐसा बन रहा है जिससे हालात सुधरेंगे। लेकिन अक्तूबर के आखिरी सप्ताह से प्रदूषण फिर बढ़ना तय है।

पराली, पटाखे-आतिशबाजी से दमघोंटू होगी दिल्ली की हवा
उत्तर भारत में सर्दी की अभी शुरुआत नहीं हुई है और उससे पहले दिल्ली की हवा बिगड़नी शुरू हो गई है। सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के अनुसार अक्तूबर के आखिरी हफ्ते में वायु प्रदूषण का मामला सबसे बुरे दौर से गुजर सकता है। दिवाली पर पटाखे-आतिशबाजी से एयर क्वालिटी के स्तर बिगड़ सकता है और ऊपर से पंजाब, हरियाणा पहले से ही पराली जला रहे हैं। ऐसे में पटाखों और पराली का धुआं एक साथ दिल्ली पर गहरा असर डाल सकता है।

सफर के मुताबिक हवा की दिशा अभी तक दक्षिण-पश्चिम की तरफ है यानी पंजाब और हरियाणा की तरफ से आने वाली हवाओं में पराली जलाने का धुआं भी आ रहा है। साथ ही गाड़ियों से निकलने वाला धुआं मुसीबत में इजाफा करेगा। सफर के मुताबिक अक्तूबर के आखिरी सप्ताह में जहां सर्दी बढ़ेगी, वहीं प्रदूषण का स्तर भी बढऩे की संभावनाएं हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दौरान हवाएं भी कम गति पर चलेंगी जिससे प्रदूषक तत्व पृथ्वी की निचली सतह पर रहेंगे जो आबोहवा को और जहरीला बनाएंगे। दीपावली पर पटाखे और पराली भी इसमें जुड़ी तो हालात तब खराब हो सकते हैं। इसलिए स्थानीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण पर अधिक जोर देना होगा। हांलाकि पराली के मामलों में करनाल में जहां जलाए जाने के मामले सुनाई दे रहे हैं वहीं पंजाब में भी 40 प्रतिशत मामलों में वृद्धि बताई जा रही है।

प्रदूषण पर गठित कमेटी के चेयरमैन भूरेलाल ने कहा कि 15 अक्तूबर से ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू हो जाएगा और हम औद्योगिक इलाकों में अधिक ध्यान दे रहे हैं। इन इलाकों में रबर, प्लास्टिक को जलाने, ईंधन के तौर पर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ईंधन का इस्तेमाल न करने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। सभी औद्योगिक इकाइयां सही ईंधन का इस्तेमाल करें इसके लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसमें अलावा जीआरएपी के सभी प्रावधान भी लागू किए जा रहे हैं।

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