धंसी जमीन और फूट पड़ा पानी का ‘ज्वालामुखी’, गड्ढे में समा गया बोरिंग के लिए आया ट्रक; दहशत में जैसलमेर
राजस्थान के जैसलमेर में वैसे तो पानी की कमी है, लेकिन यहां मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में पानी का ‘ज्वालामुखी’ फूट पड़ा है. यह दृष्य देखकर मौके पर मौजूद लोग भाग खड़े हुए. घटना शनिवार दोपहर बाद की है और रविवार को लगातार दूसरे दिन इस अज्ञात जलश्रोत से इस प्रकार पानी निकल रहा है, जैसे किसी ने ट्यूबवेल चला दिया हो. पानी की मोटी धार धरती का सीना चीरकर करीब तीन फुट तक ऊपर उठ रही है. उधर, विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया है कि विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी यहां जिंदा हो गई है.फिलहाल प्रशासन ने आधा किमी एरिया में लोगों के आवागमन पर रोक लगा दी है.
दरअसल जैसलमेर के मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र के तीन जोरा माइनर के पास शनिवार को ट्यूबेल के लिए बोरिंग हो रही थी.अचानक ही यहां जमीन धंसने लगी और देखते ही देखते खुदाई के लिए आया ट्रक गड्ढे में समा गया. इसके बाद फटी जमीन के अंदर से जलश्रोत फूट पड़ा और पानी की मोटी धार जमीन से तीन से चार फीट ऊपर उठकर गिर रही है. इसे देखकर लग रहा है कि किसी ज्वालामुखी से लावा निकल रहा है. पानी के साथ अंदर से गैस और कीचड़ भी बाहर आ रहा है. इससे पूरे एरिया में जलभराव हो गया है. इससे इलाके में दहशत फैल गई है.
बोरिंग के दौरान धंसी जमीन
ट्यूबवेल की खुदाई कर रहे कर्मचारी और ग्रामीण वहां से दूर भाग गए. उधर, खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे प्रशानिक अधिकारियों ने आधा किमी के एरिया में लोगों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया है. मौके पर मौजूद ग्रामीणों के मुताबिक यहां करीब 850 फुट गहराई में बोरिंग करा दिया गया था. बोरिंग का काम चल ही रहा था कि अचानक से बोरिंग के आसपास की जमीन धंसने लगी और बोरिंग के लिए आया ट्रक भी गड्ढे में समाने लगा.यह देखकर लोग वहां से भागने लगे. मौके पर पहुंचे भूजल वैज्ञानिक एनडी इनखिया की टीम ने घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है.
VHP ने बताया सरस्वती नदी का पानी
लगातार पानी निकलने की वजह से प्रशासन ने आसपास के लोगों को सावधान रहने की अपील की है. आशंका जताई है कि यहां और बड़े एरिया में भूमि धंसाव और विस्फोट हो सकता है. अधिकारियों के मुताबिक पानी के साथ गैस भी निकल रही है, लेकिन यह गैस ज्वलनशील नहीं है. उधर, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि एक समय यहां से सरस्वती नदी निकलती थी. बाद में वह बिलुप्त हो गई, लेकिन एक बार फिर यह नदी अपना रास्ता तलाश करते बाहर आ गई है.