सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन को चुनौती दी गई है. इस संशोधन के जरिये सीसीटीवी फुटेज जैसी चुनाव सामग्री तक सार्वजनिक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जब तक कि इसे चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध न किया गया हो.
सुप्रीम कोर्ट की सूची के अनुसार, सीजेआई संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ 15 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगी. 24 दिसंबर को अदालत के समक्ष दायर अपनी याचिका में कांग्रेस के महासचिव ने तर्क दिया कि ईसीआई को 1961 के चुनाव संचालन नियम में इस तरह बेशर्मी से और सार्वजनिक परामर्श के बिना एकतरफा संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
बेशर्मी से संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि चुनाव नियम, 1961 में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार संवैधानिक निकाय चुनाव आयोग को एकतरफा और बिना सार्वजनिक परामर्श के महत्वपूर्ण कानून में बेशर्मी से संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
तेजी से खत्म हो रही चुनावी प्रक्रिया की अखंडता
राज्यसभा सांसद रमेश ने कहा कि ईसीआई की सिफारिशों के बाद 21 दिसंबर को पेश किया गया संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक जनता की पहुंच को खत्म कर देता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तेजी से खत्म हो रही है. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा.
उधर, जयराम रमेश ने उच्च शिक्षण संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर और कुलपतियों की भर्ती में बदलाव करने वाले मसौदे पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि इससे संस्थानों की स्वतंत्रता नष्ट होगी. उन्होंने दावा किया कि इस कदम का मकसद एजुकेशन सेक्टर में बड़े पदों पर आरएसएस के लोगों को बैठाने की राह आसान करना है.