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लापता विमान का चौथे दिन भी नहीं लगा सुराग, सदमे में अफसरों के परिवार

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के विमान एएन-32 का चौथे दिन भी कोई सुराग नहीं मिला है। लापता होने के बाद विमान में सवार 13 लोगों के पारिवारिक सदस्यों का बुरा हाल है। वायुसेना, नौसेना और इसरो की भी मदद ली जा रही है। एएन-32 एयरक्राफ्ट के लापता होने पर उसमें सवार 29 वर्षीय पायलट आशीष तंवर के चाचा उदयबीर ने बताया कि जोरहाट से उड़ान भरे विमान और पायलट आशीष तंवर के बारे में जब सूचना मिली तभी से पूरा परिवार सदमे में है।

आशीष तंवर ने बताया कि मंगलवार शाम करीब साढ़े पांच बजे आशीष तंवर की सूचना उनकी पत्नी संध्या को दी गई। संध्या वायुसेना में राडार ऑप्रेटर के पद पर कार्यरत हैं, आशीष तंवर ने कम्प्यूटर साइंस से बी.टैक. करने के बाद दिसम्बर 2013 में वायुसेना ज्वाइन की। 2015 के मई माह में कमीशन मिलने के बाद पायलट तैनात हुए थे। वहीं कानपुर के बिल्हौर के वारंट अफसर भी सवार हैं। बिल्हौर के उत्तरीपुरा गांव निवासी कपिल कुमार मिश्रा वायुसेना में वारंट अफसर हैं जो वर्तमान में असम के जोरहाट में तैनात हैं। लापता होने की खबर मिलने के बाद कपिल की पत्नी ऊषा और बेटी स्नेहा बदहवास हो गए।

2009 में अपग्रेड को लेकर हुआ था समझौता
वहीं सूचना मिली है कि लापता विमान खरीदते वक्त मिली तकनीक पर ही चल रहा था। एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि 2009 तक विमान सही उड़ते रहे लेकिन उसी साल भारत ने एएन-32 के अपग्रेडेशन के लिए रूस के साथ एक योजना आगे बढ़ाई। जिसमें भारत-रूस के बीच 400 मिलियन डॉलर का करार हुआ था। उस करार में 105 में से 46 विमानों की टैक्नोलॉजी का अपग्रेडेशन भी हुआ मगर अधिकांश विमान यूं ही रह गए।

रूस और यूक्रेन का फंसा पेंच  
सोवियत यूनियन के टूटने से रूस का बंटवारा हुआ और अपग्रेडेशन का जिम्मा यूक्रेन के हिस्से चला गया। एएन-32 के स्पेयर पाटर््स रूस के पास हैं जबकि इसके डिजाइन की तकनीक यूक्रेन के पास। ऐसे में अब भारत के सामने यक्ष प्रश्न यह खड़ा हुआ कि वह रूस के साथ जाए या यूक्रेन के साथ।

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