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मध्यप्रदेश

इंदौर की आब-ओ-हवा हो रही दूषित, कान्ह-सरस्वती नदी भी बेहाल

 इंदौर। शब-ए-मालवा कहे जाने वाले इंदौर की तासीर बदल रही है। किसी जमाने में कल-कल बहने वाली सरस्वती और कान्ह नदी अब नाले का रूप ले चुकी है। सड़कों पर वाहनाें की रेलमपेल और तेजी से हो रहे निर्माण कार्याे के चलते हवा प्रदूषित होते जा रही है। बावजूद किसी भी राजनीतिक दल को पर्यावरण के इस मुद्दे से सरोकार नहीं है।

आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने पर्यावरण काे मुद्दा नहीं बनाया है। जबकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर जीवन देने के लिए पर्यावरण में सुधार लाना बहुत जरूरी है। शहर से गुजर रही कान्ह और सरस्वती नदी में कई जगहाें पर आउटफाल आकर मिल रहे हैं। जिसके कारण 10 एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) और एक कॉमन एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के बावजूद दूषित जल नदी में मिल रहा है। स्थिति यह है कि यह नदियां जलीय जीव के रहने लायक तक नहीं बची है।

एसटीपी लगाकर की खानापूर्ति

इन नदियों में बायोकेमिकल ऑक्सीजन (बीओडी) मांग का स्तर 30 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है, जबकि सामान्य तौर पर दो या दो से कम होना चाहिए। इसी तरह केमिकल ऑक्सीजन (सीओडी) मांग का स्तर 100 से अधिक मिलीग्राम प्रति लीटर है, जबकि यह 50 से कम रहना चाहिए। कुल मिलाकर नगर निगम द्वारा एसटीपी लगाकर खानापूर्ति कर ली गई, जबिक सतत निगरानी की जाना थी, ताकि सिवरेज के आउटफाल नदी में आकर नहीं मिलते। जनप्रतिनिधि भी इस मामले में हमेशा मौन रहे है।

वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा

इसी तरह शहर के वायु प्रदूषण की स्थिति भी ठीक नहीं है। शहर में लगातार वाहनाें की संख्या में इजाफा हो रहा है। शाम को अधिकांश बड़े चौराहों पर जाम की स्थिति बन रही है। तेजी से हो रहे निर्माण कार्य के चलते शहर में आरएसपीएम और पीएम का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इंदौर की एयर क्वालिटी इंडेस का स्तर औसतन 100 से अधिक हो गया है। जो भी बेहतर स्थिति से बाहर हो चुका है। अगर वायु प्रदूषण रोकने के लिए बेहतर उपाय नहीं किए गए तो आने वाले समय पर स्थिति दिल्ली जैसे हो जाएगी।

पर्यावरणविद डा. ओपी जोशी ने बताया कि इंदौर सहित पूरे देश में जल और वायु प्रदूषण के हालत ठीक नहीं है। प्रदूषण के मामले में पूरे विश्व के टाॅप 10 शहरों में भारत के 9 शहर शामिल है। पूरे विश्व में भारत प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है। पूरे शहर में छह से सात जगहों पर रियल टाइम मानिटरिंग स्टेशन बने है। ऐसे में पूरे शहर की वायु प्रदूषण की तासीर कैसे पता चलेगी।

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