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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का इस विधि से करें पारण, जीवन में बनी रहेगी खुशहाली!

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. फाल्गुन मास में आने वाली चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं. इस व्रत को करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है. साथ ही यह व्रत करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.

पंचांग के अनुसार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन 17 फरवरी दिन सोमवार को तड़के सुबह 02 बजकर 15 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रोदय के बाद किया जाता है. 16 फरवरी को चंद्रोदय रात 11 बजकर 51 मिनट पर होगा. इस समय पारण किया जा सकता है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण कैसे करें

  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है.
  • चंद्रमा के दर्शन के बाद भगवान गणेश की पूजा करें. उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें.
  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा सुनें और आरती करें.
  • व्रत पारण के लिए सबसे पहले भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं.
  • इसके बाद आप फल, मिठाई और अन्य सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं. यह व्रत करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है. यह व्रत करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति के मन को शांति मिलती है. साथ ही व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है. इस व्रत को विधि-विधान से करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है.

ऐसी मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से और गणेश जी पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है और हर बाधा दूर हो जाती है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से घर-परिवार में खुशहाली और संपन्नता आती है. जो व्यक्ति आज संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है.

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