पत्रकार प्रशांत मामला: सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से यह साबित हुआ कि सरकार का मतलब तानाशाही नहीं होता : प्रमोद

New Delhi: पत्रकार प्रशांत कनोजिया को आज सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा किए जाने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता आचार्य प्रमोद ने पत्रकार प्रशांत को बधाई दिया है। आचार्य ने अपने ट्वीट में लिखा है कि- “सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से ये साबित” कर दिया कि सरकार का मतलब “तानाशाही” नहीं होता है……प्रशांत कनौजिया को बधाई। आचार्य प्रमोद इस आम चुनाव में लखनऊ से चुनाव भी लड़े थे। लेकिन तीसरे नम्बर पर रहे थे।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को पत्रकार को छोड़ने का आदेश तो दिया ही है साथ ही जोरदार फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर उन्हें किन धाराओं के तहत अरेस्ट किया गया था। कोर्ट ने कहा कि कनौजिया को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन उन पर केस चलता रहेगा।
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने कहा कि कनौजिया ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की और अफवाह फैलाने की कोशिश की थी। नैथानी ने कहा कि पुलिस ने सबूतों के आधार पर कनौजिया को गिरफ्तार किया था, और उन्होंने अपराध कबूल कर लिया था।
Prashant Kanojia पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ टिपण्णी की। दरअसल प्रशांत ने एक महिला का वीडियो शेयर किया था जिसमें महिला योगी के साथ अपने प्रेम प्रसंग की बात कर रही थी। प्रशांत ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘योगी जी, इश्क़ छिपाये नहीं छिपता’।
प्रशांत कनौजिया के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को दो और पत्रकार इशिका सिंह और अनुज शुक्ला को गि’रफ़्तार किया। इशिका सिंह और अनुज शुक्ला को उनके चैनल नेशन लाइव पर इसी मुद्दे पर एक कार्यक्रम के लिए गिरफ्तार किया गया।