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सोती रही बिहार पुलिस, 5 लोगों को जिंदा जलाकर मारा…भनक तक नहीं लगी; पूर्णिया कांड से खाकी पर उठे सवाल

बिहार में मर्डर और लूट की घटनाएं आम हो गई हैं. बदमाश दिनदहाड़े सड़कों पर खून बहा रहे हैं. गोली मारकर मौत की नींद सुला रहे हैं. मुख्यमंत्री के आवास के पास फायरिंग होती है. मंत्री के घर के गेट पर धांय-धांय की आवाज सुनाई देती है लेकिन बिहार की पुलिस कुंभकरण बनी सोती रहती है. वीवीआईपी इलाके का जब ये हाल है तो आम लोगों की बिसात ही क्या… बीते तीन दिनों में पटना में पहले मशहूर बिजनेसमैन गोपाल खेमका की हत्या फिर स्कूल संचालक का मर्डर और पूर्णिया में 5 लोगों को पेड़ से बांधकर जिंदा जलाने की घटनाओं से ये साफ हो गया है कि हत्यारों को किसी का डर नहीं है.

पुलिस की लापरवाही की गवाही पूर्णिया में जिंदा जलाए गए 5 लोग के शव दे रहे हैं. बीते रविवार को पूर्णिया के टेटगामा गांव में जो तांडव हुआ, उसने सबको हिला कर रख दिया है. करीब 300 लोगों के बीच 5 लोग जिंदा जलाए गए. लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी. वो आराम की नींद सोती रही. अगली सुबह पुलिस के कानों में खबर पहुंची और फिर टीम ने शवों को खोजना शुरू किया. आरोपियों पर कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है… गांव में हुई इस घटना में शवों को खोजने में भी पुलिस को 12 घंटे से अधिक समय लग गया.

टेटगामा गांव में एक ही परिवार के 5 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. मृतकों में तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं.जिन पांच लोगों की हत्याएं हुई हैं, उनमें सीता देवी (48 साल), कातो देवी (65 साल), मंजीत उरांव (25 साल), बाबू लाल उरांव (50 साल) और रानी देवी (23 साल) शामिल हैं. अंधविश्वास में परिवार की महिलाओं को डायन बताया गया और पांचों को भीड़ ने जिंदा जलाकर मार डाला.

रात 9 बजे लगी पंचायत, एक बजे मर्डर…पुलिस को नहीं भनक

रात नौ बजे से लेकर रात एक बजे तक पूरा घटनाक्रम चला. रात नौ बजे गांव में एक पंचायत बैठी. इस पंचायत में 300 लोगों की भीड़ जमा हुई. पंचायत में बाबू लाल उरांव के परिवार की महिलाओं को डायन बताया गया. ये पंचायत गांव के ही रामदेव उरांव ने बुलाई थी. उसने आरोप लगाया था कि उसके बीमार बेटे की मौत की वजह बाबू लाल उरांव का परिवार है. उसके घर की महिलाएं डायन हैं. उन्होंने ही तंत्र-मंत्र कर उसके बेटे की जान ली है. इसके बाद भीड़ बाबू लाल उरांव और उसके घर के चार सदस्यों को उठा ले गई. रात एक बजे पहले पीटा गया और फिर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया. 4 घंटे तक ये सब चला, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी.

लाश ढूंढने में 12 घंटे लग गए

हर पंचायत में चौकीदार रहते हैं. पुलिस अपने हिसाब से खबरी भी रखती है. टेटगामा गांव में इतना बड़ा कांड हो गया और पुलिस को सूचना तक नहीं मिली. इसको लेकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल भी उठ रहे हैं. जब पुलिस पहुंची तो आरोपी फरार थे. गांव में सन्नाटा था. यहां तक कि पुलिस को लाश ढूंढने में 12 घंटे लग गए.

23 नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ केस

पुलिस ने इस मामले में 23 नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है. तीन लोगों की गिरफ्तारी की भी बात आ रही है. लेकिन पुलिस अबतक ये भी पता नहीं लगा पाई है कि पंचायत में पांचों को मारने का फैसला किसने दिया. खबर है कि आसपास के गांव के लोग भी इस पंचायत में शामिल हुए थे. एसडीपीओ पंकज शर्मा का कहना है कि दोषियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा. पुलिस की टीम उन्हें पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है.

बिहार में अपराध की घटनाएं बढ़ गई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते पांच महीने में बिहार में 116 हत्याएं हुई हैं. अधिकतर मामलों में पुलिस के हाथ खाली हैं. आरोपी फरार चल रहे हैं. विपक्ष इसको लेकर लगातार नीतीश सरकार पर निशान साध रहा है. आम लोग भी बढ़ते अपराध को लेकर चिंतित हैं. बिहार में अपराध पर कब लगाम लगेगा, यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है.

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