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कोई भी ब्लड टेस्ट इंफेक्शन पता लगाने की 100 परसेंट गारंटी नहीं देता, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आधुनिक टेस्टिंग तकनीकों की उपलब्धता के बावजूद कोई भी मेडिकल टेस्ट सभी इंफेक्शनों का पता लगाने की 100% गारंटी नहीं दे सकता. इसलिए ब्लड डोनर सिलेक्शन और डोनर सिलेक्शन रेफरल-2017 के दिशानिर्देश जो हाई रिस्क वाले वर्गों के व्यक्तियों को रक्तदान करने से रोकने का प्रावधान करते हैं सही और जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि यह दिशानिर्देश विश्व स्तर पर स्वीकृत वैज्ञानिक अनुसंधान, स्थापित जन स्वास्थ्य सिद्धांतों और सुदृढ़ महामारी विज्ञान संबंधी साक्ष्यों पर आधारित हैं.

हलफनामे में कहा गया कि इन मानकों में किसी भी प्रकार की ढील राष्ट्रीय ब्लड आपूर्ति की सुरक्षा और अखंडता के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगी. विशेष रूप से विंडो अवधि के दौरान जिसमें कुछ इंफेक्शनों का पता ही नहीं चल पाता. इस अंतर्निहित सीमा के मद्देनजर ब्लड डोनर ग्रुप से हाई रिस्क वाले वर्गों को बाहर करना एक विवेकपूर्ण, एहतियाती और साक्ष्य आधारित उपाय है. यह दृष्टिकोण जन स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए रक्ताधान ((Blood transfusion) सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय लेवल पर स्वीकृत मानकों के साथ पूरी तरह से है.

सरकार का तर्क

केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ पश्चिमी देशों ने उन श्रेणियों के व्यक्तियों से रक्तदान पर प्रतिबंधों को संशोधित या हटा लिया है जिन पर पहले प्रतिबंध था. फिर भी भारत के क्षेत्रीय पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर और चीन समेत कई देश अपने-अपने स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य विचारों और मौजूदा साइंस साक्ष्यों के आधार पर रिस्क आकलन के अनुसार इस तरह के प्रतिबंध को जारी रखा है.

हलफनामे में कहा गया है कि इन अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों पर उचित ध्यान दिया जा रहा है. यह आवश्यक है कि भारत की ब्लड डोनेशन पॉलिसी को देश की विशिष्ट महामारी साइंस प्रोफाइल, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे, क्लिनिकल ट्रायल्स क्षमताओं और संभावित रक्ताधान से जुडे़ जोखिमों से आम जनता की सुरक्षा की व्यापक जिम्मेदारी के आधार पर तैयार और लागू किया जाए.

थंगजम संता सिंह की याचिका, भेदभाव के खिलाफ आवाज

सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य थंगजम संता सिंह ने याचिका दाखिल की है. ब्लड डोनर सिलेक्शन और डोनर सिलेक्शन रेफरल 2017 दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है. ब्लड डोनेट करने से ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, महिला यौनकर्मियों पर प्रतिबंध लगाने को भेदभाव करने वाला बताया गया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, महिला यौनकर्मियों के ब्लड डोनेट पर लगा प्रतिबंध नहीं हटा सकते.

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