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नाम पौराणिक, ताकत आधुनिक: भारतीय सेना के हथियारों में छिपा है भारतीय संस्कृति का गौरव।

भारत की सेना अब एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है, जहां युद्ध केवल बंदूकों और टैंकों से नहीं, बल्कि तकनीक, बुद्धिमत्ता और तत्परता से लड़े जाएंगे. दुनियाभर में चल रही जंग को देखते हुए देश की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. साइबर हमले, ड्रोन युद्ध, डेटा निगरानी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए खतरे बॉर्डर पर मौजूद खतरों से कहीं आगे निकल चुके हैं. ऐसे समय में भारतीय सेना ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए ‘रुद्र ब्रिगेड’ की शुरुआत की है. यह नई सैन्य इकाई भारत की रक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव के संकेत हैं.

रुद्र ब्रिगेड को भविष्य की जंगों के लिए एक ऐसी यूनिट के तौर पर तैयार किया गया है जो तीनों सेना का प्रतिनिधित्व करेगी. इसमें पैदल सेना, टैंक रेजिमेंट, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, तोपखाना, इंजीनियर्स, सिग्नल्स, स्पेशल फोर्सेज और ड्रोन यूनिट- सभी को एक कमांड के तहत लाया जाएगा. इसका उद्देश्य है कि देश की सीमाओं पर किसी भी आकस्मिक हमले या आपात स्थिति में सेना तुरंत जवाब दे सके. हर रुद्र ब्रिगेड में लगभग तीन हजार सैनिक होंगे और इसे एक ब्रिगेडियर के नेतृत्व में इसे दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. इसकी खासियत यह होगी कि यह पूरी तरह आत्मनिर्भर होगी, यानी इसमें वह सब कुछ होगा जो किसी युद्ध की जरूरतों को पूरा करता हो.

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जुलाई में कारगिल विजय दिवस के मौके पर द्रास में इस नई यूनिट की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना अब अपने स्वरूप और रणनीति दोनों को आधुनिक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है ताकि वह किसी भी परिस्थिति में तुरंत और सटीक जवाब देने में सक्षम हो. यह योजना केवल एक सैन्य सुधार नहीं, बल्कि भारत की नई सुरक्षा नीति का संकेत है, जो अब रक्षात्मक से निर्णायक सोच की ओर अग्रसर है.

हर नाम के पीछे छुपी है ताकत

रुद्र ब्रिगेड के साथ ही सेना ने दो और नई इकाइयों की घोषणा की है- भैरव लाइट कमांडो बटालियन और शक्तिबान आर्टिलरी फॉर्मेशन. इन नामों को भारतीय पौराणिक कथाओं से लिया गया है. रुद्र विनाश और पुनर्निर्माण का प्रतीक है, भैरव अजेय शक्ति का जबकि शक्तिबाण दिव्य ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. ये नाम न केवल प्रतीकात्मक हैं, बल्कि भारतीय सेना की सांस्कृतिक जड़ों और आत्मविश्वास को भी दर्शाते हैं. आधुनिक तकनीक के साथ यह परंपरा का संगम भी है।

तीनों वार से दुश्मन होगा बेहाल

  1. रुद्र ब्रिगेड- रुद्र ब्रिगेड को भविष्य में लड़ी जाने वाली जंग के हिसाब से तैयार किया गा है. इसमें पैदल सैनिक से टैंक रेजिमेंट, इंजीनियर्स, स्पेशल फोर्सेज, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, तोपखाना और ड्रोन यूनिट को एक कमांड के तहत लाने का काम किया जा सकेगा.
  2. भैरव बटालियन- भैरव बटालियनें छोटी लेकिन अत्यंत फुर्तीली यूनिट्स होंगी जो सीमाओं के भीतर या बाहर तेज और सटीक हमले करने में सक्षम होंगी. इन्हें खासकर पहाड़ी और शहरी इलाकों के लिए तैयार किया जा रहा है, जहां त्वरित कार्रवाई और निर्णय की आवश्यकता होती है.
  3. शक्तिबाण फॉर्मेशन- शक्तिबाण फॉर्मेशन आधुनिक तोपखानों, ड्रोन और स्वॉर्म सिस्टम से लैस होगी. इसमें दिव्यास्त्र नामक एक यूनिट होगी जो ऐसे ड्रोन इस्तेमाल करेगी जो अपने लक्ष्य की पहचान कर खुद हमला कर सकेंगे. इन तकनीकों के माध्यम से सेना दुश्मन के एयर डिफेंस और सप्लाई नेटवर्क को बिना मानव जोखिम के नष्ट कर सकेगी.

2019 में ऐसी यूनिट बनाने का रखा गया था प्रपोजल

रुद्र ब्रिगेड की जड़ें दरअसल 2019 की इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) की देन है. ये विचार तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने रखा था. तब लक्ष्य था ऐसी फुर्तीली इकाइयां तैयार करना जो किसी भी आतंकवादी हमले या सीमा पार हमले का तुरंत जवाब दे सकें. उस समय इसे ‘कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन’ का हिस्सा कहा गया था. लेकिन कई कारणों से यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी. अब उसी सोच को रुद्र ब्रिगेड के रूप में तकनीकी रूप से उन्नत कर लागू किया गया है. यह नया रूप इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और रीयल-टाइम डेटा की भूमिका प्रमुख होगी.

कमांड और कंट्रोल तेज और सटीक होगा

रुद्र ब्रिगेड भविष्य की नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर प्रणाली का हिस्सा बनेगी. इसका मतलब है कि हर सैनिक, टैंक, ड्रोन और तोप एक ही डिजिटल नेटवर्क से जुड़े होंगे. इससे कमांड और कंट्रोल बेहद तेज़ और सटीक हो जाएगा. किसी भी इलाके में दुश्मन की गतिविधि पर तुरंत नजर रखी जा सकेगी और उसी क्षण कार्रवाई की जा सकेगी. यह व्यवस्था सेना के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है. अब तक निर्णय और कार्रवाई के बीच जो समय का अंतर होता था, उसे यह प्रणाली लगभग समाप्त कर देगी.

आत्मनिर्भर की दिशा में बढ़ता कदम

सेना की यह नई दिशा केवल युद्ध क्षमता बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक कदम है. जब देश में ही आधुनिक हथियार, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, तो रुद्र ब्रिगेड उन सभी हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम होगी. यह मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा बनेगी.

चुनौतियां भी कम नहीं

इसमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं. नई तकनीक सीखने और प्रशिक्षण में समय लगता है. रक्षा बजट भी इसमें बाधा बन सकती हैं. इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटाना भी बेहद जरूरी है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और सेना समन्वय के साथ इस योजना को आगे बढ़ाते हैं, तो यह भारत की सैन्य शक्ति को नए युग में प्रवेश करा सकती है.

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