संघर्ष से सफलता तक! 10वीं पास दादासाहेब भगत की सक्सेस स्टोरी, ₹4000 की नौकरी से बने करोड़ों की कंपनी के बॉस

एक किसान परिवार में जन्मे दादासाहेब भगत आज अपनी मेहनत और लगन से देशभर में अपनी पहचान बना चुके हैं. वह पुणे में इंफोसिस में ऑफिस बॉय के तौर पर काम करते थे. तभी उन्होंने कंप्यूटर से दोस्ती की और फिर कैनवा को टक्कर देने वाला एक ऐसा डिजाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया, जो आज कैनवा को टक्कर दे रहा है. दादासाहेब भगत महाराष्ट्र के बीड के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं.
दादासाहेब भगत ने सिर्फ दसवीं पढ़ाई की. इसके बाद काम की तलाश में पुणे पहुंच गए. वहां उन्होंने कुछ जगहों पर चार हजार रुपये महीने पर काम किया. इसके बाद, उन्हें इंफोसिस के ऑफिस में 9 हजार रुपये सैलरी पर ऑफिस बॉय की नौकरी मिल गई. उनका काम डेस्क साफ करना और इंजीनियरों को चाय परोसना था. उन्होंने डिजिटल ज्ञान हासिल करने के लिए इंजीनियरों की मदद ली.
दिन में काम रात में ग्राफिक डिजाइन की पढ़ाई
दादासाहेब भगत ने यूट्यूब और ट्यूटोरियल्स के जरिए ग्राफ़िक डिजाइनिंग में महारत हासिल की. इसके बाद वह दिन में काम करते और रात में ग्राफिक डिजाइन की पढ़ाई करते. इस तरह वह एक डिजाइनर बन गए. इंफोसिस में इंजीनियरों की मदद से ग्राफिक डिजाइनिंग सीखने के बाद दादासाहेब ने भारत का पहला डिजाइन प्लेटफॉर्म “डिजाइन टेम्पलेट” बनाया.
कैनवा की तरह डिजाइन प्लेटफॉर्म किया तैयार
इस प्लेटफॉर्म पर कैनवा की तरह पोस्टर, प्रेजेंटेशन और डिजिटल कंटेंट बनाए जा सकते हैं. इस काम में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. कोरोना काल में पुणे स्थित इंफोसिस का ऑफिस बंद होने की वजह से उन्हें अपने गांव लौटना पड़ा. गांव में लौटने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने यहां कंपनी का काम जारी रखा और गांव में ही कंप्यूटर क्लास जॉइन कर ली और वहां पर अपा काम जारी रखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दादासाहेब की तारीफ कर चुके हैं.
अब दादासाहेब कर रहे करोड़ों में डील
मेक इन इंडिया के तहत मोदी ने दादासाहेब को आत्मनिर्भर उद्यमिता (self-reliant entrepreneurship) का आदर्श बताया. इसके बाद शार्क टैंक इंडिया शो में दादासाहेब की खूब चर्चा हुई. इसमें उन्होंने शार्क अमन गुप्ता के साथ एक करोड़ रुपये में दस प्रतिशत इक्विटी का सौदा किया. इसके बाद, आज उनकी कंपनी हजारों डिजाइनरों को एक मंच देकर भारत को डिजिटल डिजाइन में आत्मनिर्भर बना रही है.






