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बिहार

कांग्रेस का ‘पिछड़ा’ दांव: 25 साल बाद क्यों मनाई पुण्यतिथि? राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि देकर दी चुनावी हवा

बिहार चुनाव के नजदीक आते ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. जहां एक तरफ पीएम मोदी ने राज्य की धरती पर पिछड़ों के नेता भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को याद किया, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि रहे सीताराम केसरी को याद किया और 25 साल बाद पहली बार पुण्यतिथि मनाई. साथ ही राहुल गांधी ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.

सीतराम केसरी को 1998 में कांग्रेस ने बेआबरु करके अध्यक्ष पद से हटाया था और उनकी जगह पर सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनाई गईं थी. इसके बाद केसरी को कांग्रेस ने भुला दिया. सन 2000 में केसरी का देहांत हो गया. इतने सालों में कांग्रेस ने कभी भी उनकी जन्म या पुण्यतिथि पर कोईकार्यक्रम आयोजितत किया.

25 साल बाद वक्त ने करवट बदली. राहुल गांधी ने पिछड़ों की राजनीति चुनी और आरक्षण की सीमा तोड़ने की वकालत की. ऐसे सामाजिक न्याय की धरती बिहार में चुनाव आ गए, तो अरसे बाद कांग्रेस को चाचा सीतराम केसरी की याद आ गई है.

कई साल तक रहे कांग्रेस के कोषाध्यक्ष

सीताराम केसरी कई सालों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्षरहे.. केसरी के बारे में कहा जाता कि ‘खाताता न बही, चचा केसरी जो कहें सही.”. 1996 में नरसिम्हा सरकार की हार के बाद वो कांग्रेस अध्यक्षबने,. लेकिन 1998 में पार्टीहारी, और, कांग्रेस ने अपमान के साथ उनको जबरन अध्यक्ष पद से हटाकर सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया. उसके बाद से ही कांग्रेस ने उन्हें भुला दिया था. अब राहुल ने कांग्रेस की राजनीति का कलेवर बदला, पिछड़ों-दलितों का रास्तापकड़ा, तो उन्हें अपने चाचा केसरी भी याद आ गए.

कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अपने बयान में कहा कि आज हमने सीताराम केसरी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी सिर्फ बेकार के भाषण देते हैं, रोजगार पर गुमराह करते हैं. वहीं कांग्रेस सांसद और केसरी के करीबी तारिक अनवर ने कहा कि वे कांग्रेस सेवादल के बैंड मास्टर से संघर्ष करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष बने। हमने उन्हें भुलाया नहीं, बस 24 अकबर रोड में शायद पहले कार्यक्रम नहीं हुआ.

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